वेनेज़ुएला की राजनैतिक यात्रा
वेनेज़ुएला दक्षिणी अमरीका महाद्वीप में स्थित एक देश है। राजधानी काराकास है। यह दक्षिण अमरीका के उत्तर मे स्थित एक उश्नकटिबन्धिय प्रदेश है। इसके पूर्व मे गुयेना, दक्षिण मे ब्राजील एंव पश्चिम मे कोलम्बिआ राष्ट्र है। इसकी उत्तरी सीमा २८०० कि॰मी॰ कि है, इसके उत्तर में कैरेबियन द्वीपसमुह एंवम् उत्तर पूर्व मे अंट्लान्टिक महासागर है।
हमारे देश (भारत) में अक्सर यह सुनने को मिलता है कि हमें हर बात पर राजनीति नहीं करनी चाहिए और इस बात पर यहां के अधिकांश तथाकथित बुद्धिजीवि सहमत हैं । आप को एक ऐसे देश की हालत की यात्रा कराते हैं जहां आयल के सबसे बड़े भंडार हैं और जिसे विश्व का सबसे अमीर देश होना चाहिए , वह सबसे गरीबी देशो में शुमार है ।उसकी जी डी पी सीरिया जैसे देश से नीचे है।इस देश में इन्फेलेशन दर दक्षिण सूडान से दो गुना लगभग 700% है जो विश्व में सर्वाधिक है ।
इस देश में जहां सबसे ज्यादा तेल भंडार है वहां की 3/4जनसंख्या भूख से पीड़ित है और यह स्थिति इतनी भयानक है कि नागरिकों का वजन प्रति वर्ष 19पाउंड पर्याप्त खाना न मिलने के कारण कम हो रहा है , यह देश है वेनेजुएला ।यहां पेट्रोल इतना सस्ता है कि जितने डालर में आपएक गेलन पेट्रोल अमेरिका में डालते हैं उतने डालर मे यहां एक परिवार साल भर के लिए पेट्रोल कार में डलवा सकता है ।लेकिन फिर भी यहां के लोग गरीब हैं ।BBC के एक लोकप्रिय प्रोग्राम CARIBBEAN WITH SIMON REEVE में साइमन ने वहां के स्थानीय लोगों से जब पूछा कि इतना तेल और संसाधन होने के बावजूद भी लोग गरीब क्यों हैं? तो उनका उत्तर था कि हमें नहीं पता कि सरकारों के पास से टैक्स का पैसा कहां जाता है ।
यहां 1958 में एक लोकतांत्रिक सरकार का गठन हुआ जो आज एक अधिनायकवादी शासन में बदल गया जो द्वितीय विश्व युद्ध के बाद एक के बाद सबसे लम्बा अधिनायकवादी शासन का उदाहरण है ।कर्नल हुयोगो चेवाग 1998 मे जनता के जबरदस्त समर्थन से सत्ता में आए और भ्रष्टाचार समाप्तऔर न्यायिक सुधार के लिए उन्हे वाहवाही मिली लेकिन उन्होंने सत्ता के चेक एण्ड बैलेन्स करने वाली संस्थाओं को कमजोर कर दिया और अपने को अधिनायकवादी शासन मे बदल दिया । सत्ता की यह शैली जो पेट्रोल और पर्सनैलिटी के ऊपर अवलंबित थी, लेविस्टिक के अनुसार लम्बे समय तक चल नही सकती थी । जब व्यापारिक और राजनैतिक दलों ने चेवाग की नीतियों का विरोध किया तो उसने उन्हें ही राष्ट्र द्रोही घोषित कर दिया ।पूरा समाज सत्ता पक्ष समर्थक और विरोधीयो में बट गया । सरकार का विरोध बढने पर स्वतन्त्र संस्थाओ को गम्भीर खतरा माने जाने लगा । मीडिया में आलोचना करने वालों के लाइसेंस निरस्त कर दिये गये लेबर यूनियन पर प्रतिबन्ध लगा दिये गये ।
जब सरकार को अदालतों में चुनौती मिलने लगी तो वहां भी उसने अपने वफादारो को बैठाना शुरू कर दिया । इसका नतीजा यह हुआ कि समाज दो वर्गो में बटने ध्रु की प्रक्रिया शुरू हो गई जो किसी भी हद तक एक दूसरे को नुकसान करने के लिए तैयार थे। सरकार के खिलाफ एक असफल विद्रोह के बाद सरकार ने शासकीय पेट्रोल कम्पनी ( PDVSA)के 18000 कर्मचारियों को निकालकर 10000 अपने समर्थकों को भर्ती कर दिया । इस कम्पनी का बहुत सा पैसा सरकार ने अपनी छवि सुधारने के लिए और अपने चेहते समर्थक पूंजी पतियों को लाभ पहुंचाने के लिए खर्च कर दिया ।2011 में PDVSA PENSION FUND को सरकार से जुड़े फाइनेंसर को दे दिया गया जिन्हें इसे डुबाने के लिए कभी अपराधी नहीं घोषित किया गया ।नतीजा यह हुआ कि यह ऑयल कम्पनी बरबाद हो गई । देश आर्थिक रूप से ही कमजोर नहीं हुआ बल्कि राजनैतिक रूप से भी अस्थिर हो गया ।
सडकों पर विरोध और हिंसा बढने लगी। सन 2002 के असफल सत्ता पलट के प्रयास के बाद सरकार ने विरोधियों से निपटने के लिए एक कलेक्टिवो (Colectivos) नाम समूह से गुप्त समझौता कर लिया जिसे सरकार ने हथियार और पैसे से मदद की ताकि विरोधीयो को दबाया जा सके ।यह समूह इतना ताकतवर हो गया कि वह पुलिस को ही चुनौती देने लगा ,यदपि सरकार ने उसके समर्थन को कभी स्वीकार नहीं किया लेकिन वे उनकी खुली प्रशंसा करते थे और उनकी खिलाफ कार्रवाई करने के इच्छुक नहीं थे। एलेजान्द्रो वेलास्को, न्यूयार्क यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर ने अपने अध्ययन में कहा है कि यह समूह विचार धारा की आड में अपराधों में भी शामिल हो गया और इसे कानूनी कार्रवाई से संरक्षण मिलता रहा । प्रेसीडेंट चेवाग की 2013 में मृत्यु के बाद सत्ता प्रेसिडेंट मादयुरो के पास आई लेकिन हालात अभी भी खराब है ।
देश में पूंजी चन्द लोगों के हाथों में सिमट गई है ।आज देश में एक ओर गिने चुने लोग हैं जिनके पास अथाह पैसा है और दूसरी ओर अधिकांश जनता है जो मूलभूत सुविधाओं के अभाव से जूझ रही है। हालत यह है कि चेवाग की सरकार के समय जो बिल्डिंग देश के केन्द्रीय बैंक के लिए बन रही थी वह आज पैसे के अभाव में अधूरी पड़ी है और अब उस अधूरी बिल्डिंग में 3-4 हजार बेघर लोगों ने अपना निवास स्थान बना लिया है जो धीरे-धीरे छोटे मोटे व्यवसाय का केन्द्र बन गई जैसे मुम्बई में धरावी बस्ती हैं । रोजगार के अभाव में लोग पडोसी देशों के सीमावर्ती क्षेत्रों में पेट्रोल की तस्करी कर रहे हैं जिसमें पुलिस और सरकारें भी शामिल हैं । एक देश जो एक समय सबसे खुशहाल देश था आज अधिनायकवादी राजनैतिक ,आर्थिक और सामाजिक सोच के कारण बेहाल देश में बदल गया है ।