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एक बेटी का पिता से सवाल मंदी क्या होती है ?

पापा ये मंदी क्या होती हैमेरी बेटी ने पूछा मैंने कहा जब लोगों की क्रय शक्ति घटने की वजह से औद्योगिक उत्पादन घटने लगता है और उद्योग लोगों को नौकरी से निकालने लगते हैं जिसके कारण समाज में बेरोजगारी गरीबी भुखमरी अपराध फैलने लगते हैं उसे मंदी कहते हैं मुझे कुछ भी समझ में नहीं आया मेरी बेटी बोली आप आसान भाषा में नहीं समझा सकते क्या पीछे से बेटी की माँ ने बेटी का समर्थन किया|

अब मेरे पास मंदी क्या है क्यों होती है इसके लक्षण और इसे ठीक करने के लिए क्या करना चाहिए इसे डी कोड करने के अलावा कोई चारा नहीं बचा था तो जो मैंने अपनी बारहवीं में पढने वाली बेटी को समझाया वह आप के साथ साझा कर रहा हूँ पहले तो समझो कि अर्थ व्यवस्था का विकास कैसे होता है?पहले सब जंगल से खाना पीना इकट्ठा करते थे तब कोई उत्पादन नहीं करता था

तब हम हन्टर्स और गैदेरर कहलाते थे फिर इंसान ने खेती करना शुरू कियातब इंसान ने अपने लिए उत्पादन शुरू कियाखेती के साथ साथ इंसान ने कपडे जूते तेल गुड खुरपी फावड़ा बनाना भी शुरू किया धीरे-धीरे जब खेती लायक सभी जमीनों पर कब्जे हो गए उसके बाद जिनके पास खेती के लिए जमीन नहीं थीउन्होंने जमीन वालों के लिए जूते तेल गुड खुरपी फावड़ा बनाने शुरू कर दिएबदले में जमीन वाले अपनी जमीन में पैदा होने वाली फसल इन जूते तेल गुड खुरपी फावड़ा बनाने वालों को दे देते थेइसे वस्तु विनिमय कहते थेफिर पैसे का जन्म हुआ

अब हर चीज की कीमत पैसे से नापी जाने लगीअब जूते के बदले में गेहूं देने के बदलेजूते बनाने वाला पहले पैसे के बदले जूता बेचने लगाजूते वाला उस पैसे को गेहूं वाले के पास ले जाकर गेहूं खरीदने लगा अब उत्पादक आस पास के गांव के लोगों की जरूरत का समान बनाते थेअब जिसके पास ज्यादा जमीन थी वो खेती मजदूरों से करवाने लगामजदूर उत्पादन तो ज्यादा पैसे का करते थे लेकिन मजदूरी उनके उत्पादन से कम मिलती थी जमीन के मालिक के पास उत्पादन को बेच कर पैसा जमा होने लगा |

उस पैसे से उसने ज्यादा जमीन खरीदी और ज्यादा मजदूर रखे धीरे धीरे कुछ लोगों के पास ज्यादा पैसा जमा हो गया . उन लोगों ने उत्पादक से माल खरीद कर दूसरों को बेचना शुरू कर दियायह लोग व्यापारी कहलायेअब उत्पादन गाँव की जरूरत के लिए नहीं बल्कि व्यापारी की मांग के हिसाब से होने लगा. अब व्यापारी और अमीर किसानों की ज़मीन की रक्षा के लिए राजा और उसकी सेना का जन्म हुआ ध्यान देना राजा सेना और पुलिस का जन्म अमीर जमीन मालिकों और व्यापारियों की रक्षा के लिए हुआना कि गरीब मजदूरों को ज्यादा मजदूरी दिलाने या सबको जमीन का बराबर हिस्सेदार बनाने के लिएअब जहां राजा का महल था वहां सेना रहती थी

वहीं उसके आसपास अपने धन की सुरक्षा के लिए व्यापारी रहने लगे वहीं पर लोग अपना माल व्यापारियों को बेचने और अपनी जरूरत का सामान व्यापारियों से खरीदने के लिए आने लगेइस तरह नगर बसेसारे गरीब मजदूर भूमिहीन लोग राजा को स्वीकार करें और राजा द्वारा अमीरों की तरफदारी पर असंतोष ना उठे इसके लिए पुरोहित वर्ग का उदय हुआ ब्राह्मण पादरी मुल्ला सबने राजा को ईश्वर का भेजा हुआ प्रतिनिधि घोषित कियाइसके बाद राजा के दरबार और धर्म स्थल दो ऐसे स्थान बन गये जिससे लोग डरने लगे, अब राजा के दरबारी और उनके परिवार, सेना के अधिकारियों के परिवार,पुरोहित वर्ग के परिवारों, व्यापारियों और बड़े किसानों यानी जमींदारों के परिवार नगर में रहने लगेये नया वर्ग पैदा हुआ जो शरीर से मेहनत नहीं करता थालेकिन इस वर्ग के पास ज्यादा पैसा था, इस वर्ग के पास सत्ता थी

यानी अब समाज में दो राजनैतिक और आर्थिक वर्ग बन गयेएक वो वर्ग जो बहुत मेहनत करता था लेकिन गरीब था दूसरा वह वर्ग जो मेहनत नहीं करता था लेकिन अमीर थाराजा के दरबार में राजा की सहायता के आधार पर जीने वाले और धर्म के स्थलों पर रहने वाले पुरोहित वर्ग के लोगों ने शास्त्रीय कलाओं का विकास कियासभी शास्त्रीय संगीत, नृत्य साहित्य दरबारों की कृपा और धर्म स्थलों पर विकसित हुएदूसरी तरफ जनता मेहनत करते हुए जो गीत गाती थीया काम से थक कर रात को इकट्ठे होकर नाचते हुए जो नृत्य विकसित हुएउन्हें लोकगीत और लोक नृत्य कहा गयाभारत में एक ख़ास बात हुईभारत में पुरोहित वर्ग ने मेहनतकश लोगों को शूद्र घोषित कर दिया.

और इन लोगों के लिए पुरोहितों की भाषा जानना व्यापार करना या सेना में भरती होना या हथियार रखना वर्जित कर दिया इस तरह भारत में जो नगरों में रहने वाला व्यापारी सैनिक और पुरोहित वर्ग थावह हमेशा के लिए सुरक्षित हो गयायह वर्ण व्यवस्था और जाति व्यवस्था भारत के अलावा और कहीं नहीं बनी तो भारत में जो अमीर और सत्ता धारी वर्ग था और नगरों में रहता थाअब वह सवर्ण भी बन गया सेना के अधिकारी क्षत्रीय व्यापारी वैश्य और पुरोहित ब्राह्मण बन गये.

अब भारत में वर्ग और वर्ण एक ही बन गयायानी जो मेहनतकश है वह शूद्र है वह गरीब भी होगा सत्ताहीन भी होगा और सामाजिक तौर पर नीच भी माना जाएगा खैर अब भारत से निकलकर दुनिया की तरफ देखते हैंजो देश जातिवाद और धार्मिक पिछड़ेपन से मुक्त थे वे और ज्यादा अमीर बनने की यात्रा पर निकल पड़े यूरोप के देश फ़्रांस स्पेन पुर्तगाल और इंग्लैण्ड ने दुनिया भर में अपने पानी के जहाज लेकर यात्रायें करीं और कई देशों पर कब्जा कर लियाइधर भारत में समुद्र की यात्रा करने पर ब्राह्मण जाति से बाहर कर देते थे तो शूद्रों की तो हिम्मत और हैसियत ही नहीं थी कि वे समुद्र यात्रा करतेक्षत्रीय और वैश्यों की भी हिम्मत नहीं थी कि वे ब्राह्मणों से बगावत कर सकें तो भारत कुँए का मेंढक बना रहा और अपने शूद्रों की मेहनत पर पलता रहा

भारत में बाहर से जो लोग आते और शासक बनतेब्राह्मण उनकी चापलूसी में लग जाते तेहरवीं शताब्दी में गयासुद्दीन बलबन की संस्कृत में लिखी हुई स्तुति इसका प्रमाण है भारत में फ्रांसीसी पुर्तगाली और फिर अंग्रेज आयेजातियों में बंटा हुआ समाज उनका मुकाबला नहीं कर पायाऔर भारत गुलाम हो गयाउधर युरोप में भाप की शक्ति की खोज हुई और जो जमींदार थे उन्होंने भाप से चलने वाले इंजन लगा कर कपड़े बनाने शुरू कियेअब अंग्रेज उद्योगपतियों को कारखाना चलाने के लिए कच्चे माल के रूप में कपास और नील की जरूरत थीऔर बने हुए कपड़े बेचने के लिए बाजार चाहिए था

अंग्रेजों ने भारतीय लोगों को पुलिस में भरती किया और उनसे किसानों को पीट पीट कर कपास और नील उगाने के लिए मजबूर कियाबहुत सारे भारतीय जुलाहों के अंगूठे कटवा दिए गयेइसके अलावा भारत का हाथ का बने कपड़े के मुकाबले इंग्लैण्ड में मिल में बना कपड़ा पतला और चिकना होता थाधीरे धीरे भारत का गाँव का कपड़ा उद्योग नष्ट हो गयाभारत में बेरोजगारी और गरीबी फैल गईआजादी की लड़ाई के दौरान यह तय हुआ कि आजादी मिलने के बाद सबसे पहले भारत के गावों का विकास किया जाएगा जातिवाद के खिलाफ अभियान चलाया जाएगा और जो मेहनत करता है उसका फल उसे ही मिलेगा क्रमशः पाठ का बाकी का अगला भाग …..

Credit – ये आर्टिकल फेसबुक पर आदिवासियों समाज के हितों के लिए काम करने बाले सोशल एक्टविस्ट Himanshu Kumar JI ने लिखा है

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