हम जो भी हैं आप जैसे हैं
हम जो भी हैं... आप जैसे हैं, जो साइड पे खड़े होकर सरकारों और पार्टियों को हमारा रोज़ काटते हुए देखते हैं।
किसी को लगता है हम लेफ्ट हैं। किसी को राईट। किसी को हम सेंटर की ग्रुत्वाकर्षण में फसे लगते हैं। पर यकीन मानिए हम आप जैसे ही हैं- आम लौंडे। जो साइड पे खड़े होकर सरकारों और पार्टियों को हमारा रोज़ काटते हुए देखते हैं। कभी बरसातों के गड्डों में फसते हैं हम, आप ही की तरह। कभी बस, मेट्रो में पिल के जाते हैं, आप ही की तरह। हम सब दो पहिया वाले हैं जो हिमाकत करके इश्क़ करते हैं और महंगी चौपहिया के सपने देखते हैं। ताकि जैगुआर ज़िन्दगी में मोबाइल में पड़ा गाना ही न रह जाए। हम जानते हैं कि आप भी अपनी अपनी ज़िन्दगी में उतनी ही रगड़ाई करवा रहे हैं। कहीं चुप हो कर गाली सुन लेते हैं तो कहीं (यहीं) आकर अपना अपना गुस्सा निकाल लेते हैं। हममें से कोई भी अम्बानी, टाटा और बिरला नहीं है। और जो है वो शायद हमारे पेज पे तो नहीं है।
हम और आप वो हैं जो थक के ऑफिस से आते हैं और अगले दिन कुछ तोड़-फाड़ मचाने का झूठा वादा करके रात को सो जाते हैं। हम सब कह तो देते हैं कि “तू जानता नहीं कि मेरा बाप कौन है!” पर सच ये है कि हमारे बाप को हम ही जानते हैं और वो हम से भी ज़्यादा मजबूर है। वो ज़्यादा से ज़्यादा सरकारी अफसर (नौकर) है या RWA का प्रेजिडेंट।
स्क्रीन के पीछे बैठ के बूस्ट की एनर्जी सबमें आ जाती है। जब कि इश्क़ और नौकरी ने हम सबकी equal मार रखी है। हम भी कभी सियासी हवा में बाल सुखाते हैं, आप ही की तरह। कभी किसी का भाषण सुनके लगता है कि अब देश बदल जायेगा, बिल्कुल आप ही की तरह।
आप चाहें aaptard कहलाये या bhakt, आप चाहे khangressi कहलाये या liberal- राशन हम सबके लिए महंगा है, GDP हममें से अधिकतर को समझ नहीं आती और रात को एक message का इंतज़ार हम सबको है।
इसलिए, न मोदी हमारी मौसी का लड़का है न ही इटली से हमारा कोई रिश्तेदार है। मज़ाक होगा, कटाक्ष होगा…कभी कभी फ्रस्टिया के गाली भी हो सकता है निकल जाये। जिसे हम एडिट ऑप्शन में गुस्सा शांत होने पर हटा देंगे या फिर ** घुसेड़ कर संस्कृति को बचा लेंगे।
हो सकता है इतना चब्बड़-चब्बड़ के बाद भी कोई गाली लिख जाए पर कोई बात नहीं… गाली तो इस देश में तेंदुलकर को भी पड़ी है तो फिर हम क्या चीज़ हैं।
हम जो भी हैं आप जैसे हैं।