कम्युनिस्ट बंदर देशद्रोही होते हैं
एक पेड़ पर बहुत सारे बन्दर रहते थे,फलदार शाखाओं पर मोटे और ताकतवर बंदरों नें कब्ज़ा कर लिया था, बाकी के बंदर कमज़ोर और बेआवाज़ हो गए थे, कमज़ोर बंदरों में नयी पीढ़ी आयी.
उन्होंने कहा कि पेड़ के फलों के खाने में बराबरी होनी चाहिये, मोटे बंदरों में बैचैनी फ़ैल गयी,
उन्होंने कहना शुरू किया कि ये फलों में बंटवारे की बात करने वाले कम्युनिस्ट बंदर हैं
और कम्युनिस्ट बंदर देशद्रोही होते हैं,मोटे बंदरों नें कहा कि फलदार शाखों पर वही कब्ज़ा करेगा जो पेड़ माता की जय बोलेगा,कमज़ोर बंदरों नें कहा कि मुद्दा पेड़ माता की जय का है ही नहीं,मुद्दा है कि सारे बंदर बराबर फल खायेंगे या नहीं?
लेकिन मोटे वाले बंदर पेड़ माता की जय – पेड़ माता की जय का शोर मचाने लगे,और फलों के बराबर बंटवारे की मांग पर से सबका ध्यान हटा दिया,लेकिन फलों के बराबर बंटवारे की की मांग लगातार बढ़ती जा रही थी