क्या भारत दुनिया का सबसे बड़ा नस्लभेदी(Racist) देश है?
आर्थिक और व्यापारिक समूह, इनसाइडर मंकी ने दौड़ के संबंधों में दो अलग-अलग सर्वेक्षणों से निष्कर्षों को संयुक्त किया है और 25 सबसे नस्लीय देशों की रैंकिंग संकलित की है।
दुनिया का सबसे बड़ा नस्लभेदी (Racist) देश….
अगर प्रश्न पूछा जाए कि दुनिया का सबसे बड़ा नस्लभेदी देश कौन सा है तो बगैर सोचे दिमाग़ में उत्तर आता है, -अमेरिका, लेकिन ऐसा नहीं है
मैं अक्सर सोचा करता था कि दुनियाभर के देशों में “नस्लवाद” पर तो चर्चा होती है, नस्लवाद से भी कहीं ज़्यादा इंसान को अपमानित करने वाली पूरे भारत को जबरदस्त रूप से गिरफ्त में लिए “जातिवाद” पर चर्चा क्यों नहीं होती….?
कुछ दिनों पहले मैं विकास दिव्यकीर्ति का एक वीडियो देख रहा था, जिसमें उन्होंने कटाक्ष करते हुए कहा था, नस्लवाद को तो हम भारतीय जानते ही नहीं l यह तो हमारे यहाँ की समस्या है ही नहीं……..
फिर उन्होंने जो उत्तर दिया उससे मैं भी चौंक गया l वे बोले तीन चार साल पहले मैंने हावर्ड यूनिवर्सिटी की एक रिपोर्ट पढ़ी थी, जानते हैं दुनिया का सबसे बड़ा Racist (नस्लभेदी) देश कौन सा है……?
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भारत, जी हाँ भारत दुनिया का सबसे बड़ा नस्लभेदी देश है
फ़िर मैंने हावर्ड यूनिवर्सिटी की वह रिपोर्ट गूगल पर बहुत खोजी लेकिन मुझे नहीं मिल सकी l हाँ दूसरे संस्थानों की मुझे रिपोर्ट्स मिलीं जिनमें से अधिकतर में भारत को दुनिया का सबसे बड़ा नस्लभेदी देश बताया गया l इस रिपोर्ट का मुख्य बिंदु था, क्या आप दूसरी नस्ल के व्यक्ति को अपनी पड़ोस में देखना चाहते हैं….?
43.6% भारतीयों ने जवाब दिया, – “नहीं”
हावर्ड यूनिवर्सिटी की रिपोर्ट में “जाति” को भी शामिल किया गया है l उसके प्रश्नों में वैवाहिक संबंध और खानपान को भी शामिल किया गया है l
मुझे उम्मीद है हावर्ड यूनिवर्सिटी की रिपोर्ट में जाति को शामिल कर लेने से नस्लभेदियों का यह प्रतिशत कहीं ज्यादा बढ़ गया होगा….
और
हमारे लिए तो यह 99% से कम नहीं होगा…..
नस्लवाद को दुनियाभर में इंसानियत को अपमानित करने वाला माना जाता है लेकिन भारत में फैला “जातिवाद” नस्लवाद से कहीं ज्यादा अपमानित करने वाला होता है l नस्लवाद में दूसरी नस्ल के व्यक्ति से नफ़रत होती है लेकिन अमूमन “छुआछूत” नहीं l लेकिन “जातिवाद” में “छुआछूत” मिली होती है जो इसे नस्लवाद से कहीं ज्यादा अपमानित करने वाली बना देती है l जातिव्यवस्था एक साफ़-सुथरे यहाँ तक कि “उच्च शिक्षित” व्यक्ति को भी “गंदगी के ढेर”, “जानवरों और इंसानों के मल” से भी ज़्यादा गन्दा घोषित करती है l
यह व्यवस्था में व्यक्ति दूसरे से बात कैसे करेगा यह वह उसकी जाति देखकर तय करता है l बहुत से ऐसे भी हैं जिन्हें बात करने लायक ही नहीं समझा जाता l
भारत में एक समस्या यह भी है……
भारत के लोगों से अगर यह प्रश्न पूछा जाए कि-
क्या आप कभी जातिव्यवस्था के कारण अपमानित हुए हैं……?
अगर वे ईमानदारी से जवाब दें तो इस देश के 97% लोगों का जवाब होगा,- “हाँ”
मात्र 3% प्रतिशत लोग ऐसे होंगे जो भारत में “जाति” के कारण अपमानित नहीं होते हैं l
इंसान को गन्दगी घोषित करने वाली इस व्यवस्था से इस देश के लोगों का 97% भाग पीड़ित है तो वे इसे ख़त्म क्यों नहीं कर पा रहे हैं…..?
उत्तर। – उनके अन्दर भरी “बेईमानी” l इस मामले में वे दुनिया के सबसे बड़े बेईमान हैं l वे ख़ुद के लिए जातिभेद और छुआछूत ख़त्म करना चाहते हैं लेकिन दूसरे को वे इसमें फंसाए रखना चाहते हैं l उनके अन्दर भरी इस बेईमानी के कारण ही इस देश के लोगों का 97% भाग परेशान है इससे मुक्त नहीं हो पा रहे हैं
जातिभेदी मक्कारों ने ही इस देश को दुनिया का सबसे बड़ा नस्लभेदी देश बना दिया है l दुनिया अब तुम्हारी मक्कारियों को समझ रही है l
समझना इस देश की 97% आबादी को है l जबतक इस देश की यह 97% आबादी इस मुद्दे पर “ईमानदार” नहीं होगी इस देश से “जातिभेद और छुआछूत” ख़त्म होने वाले नहीं हैं l दुनिया उन्हें नस्लभेदी घोषित कर रही है, तो करती रहे, क्या फ़र्क पड़ता है………
उनके अन्दर का इंसान मर चुका है, वह इंसानों के लिए नहीं जानवरों के लिए जागता है……..
Shailendra Fleming की वॉल से