UNSC : मोदी सरकार ने तालिबान को दी मान्यता और आतंकबाद का टैग भी हटाया। गिरीश मालवीय
भारतीय राजदूत ने तालिबान के जिस प्रतिनिधि (शेर मोहम्मद अब्बास) से मुलाक़ात की है, उन्होंने देहरादून स्थित इंडियन मिलिटरी अकादमी से ट्रेनिंग ली है. शेर मोहम्मद अब्बास ने शनिवार को कहा था कि भारत को अफ़ग़ानिस्तान से राजनीतिक और कारोबारी संबंध बनाए रखना चाहिए.
लेकिन इसमें इस बात की कहीं भी चर्चा नहीं की गई कि अगर तालिबान बाधा डालता है तो उसको क्या सज़ा दी जाएगी। बैठक में वीटो पावर वाले रूस और चीन ने इस प्रस्ताव पर दूरी बना ली। इन दोनों देशों ने न तो पक्ष में वोट किया और न ही विपक्ष में। यूएन में रूस के प्रतिनिधि ने कहा कि उन्होंने इस प्रस्ताव से इसलिए दूरी बना ली क्योंकि इसमें उनके सिद्धांतों को शामिल नहीं किया गया है।
उन्होंने कहा कि इस प्रस्ताव में न तो आतंकवाद पर पर्याप्त बात है और न ही मानवता और आर्थिक दृष्टि से सभी बातों को शामिल किया गया है। अफगानिस्तान में तालिबान के कब्जे के बाद अमेरिका ने जिन अकाउंट्स को सीज कर दिया है, उसपर भी कोई बात नहीं की गई है। भारत से तो इतना भी बोलते नही बना।
56 इंच की सरकार वालों से तो पुरानी सरकारें कही बेहतर थी। जिन्होंने कभी भी तालिबान को मान्यता नहीं दी जबकि 1996 से 2001 तक अफगानिस्तान में तालिबान की ही सरकार थी, आखिर भारत की विदेश नीति पर कौन सा ऐसा दबाव है जो मोदी की सरकार झेल नही पा रही है?
अब क्या मुँह रह गया उन लोगों उन बिके हुए एंकर पत्रकारों का, जो इतने दिनों से सुबह शाम चिल्ला चिल्ला कर तालिबान को आतंकी बता रहे थे।
अफगानिस्तान में तालिबान के कब्जे के बाद अमेरिका ने जिन अकाउंट्स को सीज कर दिया है, उसपर भी कोई बात नहीं की गई है। भारत से तो इतना भी बोलते नही बना।
56 इंच की सरकार वालों से तो पुरानी सरकारें कही बेहतर थी। जिन्होंने कभी भी तालिबान को मान्यता नहीं दी जबकि 1996 से 2001 तक अफगानिस्तान में तालिबान की ही सरकार थी, आखिर भारत की विदेश नीति पर कौन सा ऐसा दबाव है जो मोदी की सरकार झेल नही पा रही है?
अब क्या मुँह रह गया उन लोगों उन बिके हुए एंकर पत्रकारों का, जो इतने दिनों से सुबह शाम चिल्ला चिल्ला कर तालिबान को आतंकी बता रहे थे।
इंदौर में आज एक मुस्लिम युवक के बारे में खबर छपी है, कि उसे तालिबान समर्थक होने की वजह से गिरफ्तार कर लिया गया है।
अरे भाई जब आप ऑफिशियल रूप से तालिबान को एक आतंकी संगठन मान ही नही रहे हो तो आप उसे किस जुर्म में गिरफ्तार कर रहे हो? अब ऐसे एक नही बल्कि कई सवाल खड़े होंगे।