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जब कोरोना से फूल रही सभी राज्योँ की सांस, तब केरल के पास भरपूर ऑक्सीजन

केरल ने पहले तो ऑक्सीजन की सप्लाई बढ़ा दी और फिर इस पर कड़ी निगाह रखनी शुरू की. केस बढ़ने के मद्देनज़र इसने ऑक्सीजन सप्लाई बढ़ाने की योजना पहले से ही तैयार रखी. केरल के पास अब सरप्लस ऑक्सीजन है और अब यह दूसरे राज्यों को इसकी सप्लाई कर रहा है.

कोरोना वायरस (Corona Virus) के बढ़ते मामलों के बीच पूरे देश में ऑक्सीजन (Oxygen) की कमी हो रही है. दिल्ली (Delhi) और महाराष्ट्र (Maharashtra) में हर रोज ऑक्सीजन की कमी से मरीजों की जान जा रही है. लेकिन केरल एकमात्र ऐसा राज्य है, जहां ऑक्सीजन पर्याप्त मात्रा में है. सरकार यहां लगातार तैयारी बढ़ा रही है. तिरुवनंतपुरम मेडिकल कॉलेज से 100 मीटर दूर ही लिक्विड मेडिकल ऑक्सीजन प्लांट है, जो ICU में भर्ती मरीजों को ऑक्सीजन उपलब्ध कराता है. अभी तक इस ऑक्सीजन प्लांट की क्षमता 20 हजार लीटर थी, जिसे अब बढ़ा कर 40 हजार लीटर कर दिया गया है. हालांकि केरल में यह अपवाद नहीं है.

वर्तमान में, केरल में प्रति दिन 204 टन तरल ऑक्सीजन की उत्पादन क्षमता है। 2019 में पलक्कड़ में स्थापित एक निजी क्षेत्र की कंपनी आईनॉक्स एयर उत्पाद प्रतिदिन 147 टन का उत्पादन करता है। सार्वजनिक क्षेत्र के केरल मिनरल्स एंड मेटल्स लिमिटेड (KMML) ने सितंबर 2020 में एक संयंत्र स्थापित किया, जिससे प्रति दिन 7 टन उत्पादन होता है। भारत पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन लिमिटेड संयंत्र प्रति दिन 0.322 टन का उत्पादन करता है, जबकि कोचीन शिपयार्ड एक दिन में 5.45 टन का उत्पादन करता है। राज्य भर में 11 एयर सेपरेशन यूनिट (एएसयू) प्रतिदिन 44 टन का उत्पादन करती है।

“अब, केरल प्रतिदिन 79 टन का उपयोग कर रहा है, और तमिलनाडु को 74 टन और कर्नाटक को 30 टन की आपूर्ति कर रहा है।

केरल ने पिछले एक साल में ऑक्सीजन की उपलब्धता में 58 फीसदी की वृद्धि की है. सरकारी अस्पतालों में वर्तमान में उपलब्ध दैनिक ऑक्सीजन 219.22 मीट्रिक टन है, जबकि 21 अप्रैल तक अस्पतालों की दैनिक आवश्यकता 82.18 मीट्रिक टन थी.

तिरुवनंतपुरम मेडिकल कॉलेज के उपाधीक्षक डॉक्टर के. संतोष का कहना है कि, “संवर्द्धन क्षमता महत्वपूर्ण रही है. पिछले अक्टूबर में, हमने यह पता लगाया था कि हमारी ऑक्सीजन की क्षमता कम होगी. सरकार ने ऑक्सीजन संयंत्रों पर बहुत खर्च किया है, खासकर सभी मेडिकल कॉलेजों में. क्योंकि अधिकांश ICU बेड केरल के मेडिकल कॉलेजों में हैं. 10 मेडिकल कॉलेज लें तो उन सभी में अब इस तरह के कम से कम 2 तरल ऑक्सीजन संयंत्र हैं. इन्हें अचानक सेट नहीं किया गया है. इसके लिए प्लानिंग की गई है.”

केरल में बढ़ाई गई 58 फीसदी ऑक्सीजन
NDTV की खबर के मुताबिक केरल ने पिछले एक साल में ऑक्सीजन की उपलब्धता में 58 फीसदी की वृद्धि की है. सरकारी अस्पतालों में वर्तमान में उपलब्ध दैनिक ऑक्सीजन 219.22 मीट्रिक टन है, जबकि 21 अप्रैल तक अस्पतालों की दैनिक आवश्यकता 82.18 मीट्रिक टन थी. केरल में 23 ऑक्सीजन फीलिंग प्लांट हैं, जिसमें से ज्यादातर प्राइवेट हैं.

Petroleum and Explosive Safety Organisation (PESO) के उप मुख्य नियंत्रक आर वेणुगोपाल ने कहा, “पिछले साल मार्च के आसपास, हमारे पास 11 एयर पृथक्करण इकाइयाँ (Air Separation Units) थीं. उनमें से छह आंशिक रूप से काम कर रही थीं. अगले कुछ महीनों में, सभी 11 पूरी क्षमता के साथ काम करेंगी.”

उद्योगों के ऑक्सीजन सप्लाई में कटौती
इस साल मेडिकल ऑक्सीजन पर ध्यान देने के कारण उद्योगों की आपूर्ति में कटौती की गई है. केरल में Inox सबसे बड़ा ऑक्सीजन प्लांट है, जो 149 मीट्रिक टन का उत्पादन करता है. यह अब पूरी तरह से चिकित्सा आपूर्ति पर ध्यान केंद्रित करने लगा है.

2020 तक यह उत्पादन का 40 प्रतिशत उद्योगों को सप्लाई करता था. केरल अपने ऑक्सीजन से दूसरे राज्यों की भी संकट काल में मदद कर रहा है. कर्नाटक, तमिलनाडु और गोवा जैसे राज्यों को केरल ऑक्सीजन भेज रहा है.

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