केंद्रीय चुनाव आयोग के वकील मोहित डी राम ने अपने पद से इस्तीफा दिया
चुनाव आयोग के कानून निदेशक को संबोधित पत्र में डी राम ने कहा है कि भारत के चुनाव आयोग का प्रतिनिधित्व करना मेरे लिए एक सम्मान की बात थी। मैंने करियर में कई माइलस्टोन प्राप्त किए। लेकिन वर्तमान में आयोग की कार्यशैली मेरे मूल्यों के अनुरूप नहीं रही है।
चुनाव आयोग के कानून निदेशक को संबोधित पत्र में डी राम ने कहा है कि भारत के चुनाव आयोग का प्रतिनिधित्व करना मेरे लिए एक सम्मान की बात थी। मैंने करियर में कई माइलस्टोन प्राप्त किए। लेकिन वर्तमान में आयोग की कार्यशैली मेरे मूल्यों के अनुरूप नहीं रही है।
मोहित डी राम का इस्तीफा ऐसे समय में सामने आया है जब केंद्रीय चुनाव आयोग चौतरफा हमला झेल रहा है। वरिष्ठ पत्रकार उमाशंकर सिंह ने इसे चुनाव आयोग के लिए ट्रिपल फजीहत करार दिया है।
पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव में केंद्रीय चुनाव आयोग ने जिस तरह का चरित्र दिखाया, उससे उसके साख पर तो बट्टा लगा ही, एक संवैधानिक संस्था की निष्पक्षता सवालों के घेरे में आ गई।
जब पूरा देश कोरोना की दूसरी लहर की चपेट में आने वाला था, विशेषज्ञ बार बार चेतावनी दे रहे थें, उसके बावजूद चुनाव आयोग ने आठ चरणों में पश्चिम बंगाल के चुनाव कराने का ऐलान कर दिया।
वजह साफ थी, आयोग भाजपा और पीएम मोदी को ज्यादा से ज्यादा प्रचार करने और भाषण देने का मौका देना चाहता था। भाजपा के नेता लगातार उन्मादी भाषण दे रहे थें लेकिन कोई कार्रवाई नहीं की गई। कार्रवाई हुई भी तो दिखावटी।
उसके थोड़े ही दिन पहले बिहार विधानसभा चुनाव में भी चुनाव आयोग ने जो कार्यशैली दिखाई, उससे भी बहुतों का भरोसा डगमगा गया।
आज भी बिहार के लोगों को लगता है कि उन्होंने जिसे वोट नहीं दिया, वो सरकार चला रहा है और जिसे वोट दिया, उसके साथ छल किया गया और मतगणना में हरा दिया गया. आज भी बिहार में विपक्षी दल और जनता का एक बड़ा वर्ग चुनाव परिणामों से संतुष्ट नहीं है।
इसके अलावा हाल ही में मद्रास हाईकोर्ट ने कोरोना की दूसरी लहर के लिए चुनाव आयोग को जिम्मेदार ठहराया था।
अब तो चुनाव आयोग के सहयोगियों में ही बगावत की आवाज आने लगी है। मोहित डी राम वर्ष 2013 से ही शीर्ष अदालतों में चुनाव आयोग की पैरवी करते आ रहे हैं।