Varanasi News- मात्र पांच महीने में ही खत्म हो गई 100 में से 93 लोगों में Covid-19 एंटीबॉडी
च महीने पहले नवंबर में वाराणसी में जिन लोगों में पर्याप्त एंटीबॉडी मिली थी इस समय वह खत्म हो चुकी है। बीएचयू जूलॉजी डिपार्टमेंट में एक शोध में यह निष्कर्ष निकलकर सामने आया है। इस शोध को अमेरिका के अंतरराष्ट्रीय जर्नल साइंस में जगह मिली है।
देश में कोरोना की दूसरी लहर के चलते संक्रमण तेजी से बढ़ने के बीच बीएचयू के जीव विज्ञान विभाग के प्रोफेसर ज्ञानेश्वर चौबे की अगुआई में वैज्ञानिकों की टीम ने बनारस में लोगों का परीक्षण किया। इसमें यह पता चला कि बीते वर्ष सितम्बर से नवम्बर के बीच सीरो सर्वे में जिन 100 लोगों में 40 फीसदी तक एंटीबॉडी थी उनमें से 93 लोगों में पांच महीने बाद यानी कि इस साल मार्च तक 4 फीसदी ही एंटीबॉडी बची थी। सिर्फ सात लोग ऐसे मिले जिनमें पूरी एंटीबॉडी बची है।
बिना लक्षण वाले कोरोना वायरस का बने निशाना
प्रो. ज्ञानेश्वर ने बताया कि सीरो सर्वे के समय यह अनुमान लगाया गया था कि जिन लोगों में एंटीबॉडी मिली है वह छह महीने तक बनी रहेगी। लेकिन ऐसा हुआ नहीं है। कोरोना की पहली लहर में बिना लक्षण वाले मरीजों की संख्या बहुत अधिक थी और उनमें एंटीबॉडी नाममात्र की बनी थी। ऐसे में बिना लक्षण वाले कोरोना वायरस का आसानी से निशाना बने और मौत भी उन्हीं की सबसे अधिक हुई। जिनमें एंटीबॉडी बनी भी तो छह महीने से पहले ही खत्म होने की वजह से ऐसे लोग कोरोना की दूसरी लहर की चपेट में आने से बच नहीं पा रहे हैं।
वैक्सीन ही कारगर हथियार
वैज्ञानिकों का कहना है कि यह आंकलन था कि जून 2021 तक लोगों के शरीर में एंटीबॉडी रहेगी और कोरोना की दूसरी लहर अगस्त तक आ सकती है। तब तक बड़े स्तर पर वैक्सीनेशन का काम पूरा हो जाता। हालांकि यह आंकलन गलत रहा और अगस्त से पहले ही कोरोना की दूसरी लहर ने पूरे देश में कहर बरपा रखा है। वैज्ञानिक इस नतीजे पर पहुंचे हैं कि कोरोना की घातक दूसरी लहर में हर्ड इम्युनिटी विकसित नहीं हो सकती है। ऐसे में कोरोना से लड़ने में वैक्सीन ही कारगर हथियार है।
संक्रमितों में जल्दी बनी एंटीबॉडी
प्रो. ज्ञानेश्वर ने बताया कि वैज्ञानिकों की टीम टीकाकरण कराने वालों पर शोध में जुटी है। प्रारंभिक परिणाम से यह सामने आया है कि पहली लहर में संक्रमित न होने वालों में वैक्सीन लगवाने के बाद एंटीबॉडी बनने में चार सप्ताह तक का समय लगा। जबकि संक्रमित हो चुके लोगों में वैक्सीन लगने के हफ्ते-दस दिन में एंटीबॉडी बन गई। इसके पीछे संक्रमित लोगों की इम्युनिटी में मेमोरी बी सेल का निर्माण होना है। यह सेल नए संक्रमण की पहचान कर व्यक्ति की प्रतिरोधक क्षमता को सक्रिय कर देती है। इसलिए जो लोग पिछली बार संक्रमित हुए थे, वे दूसरी लहर में जल्द ठीक हो गए। लेकिन जो पहली लहर की चपेट में आने से बच गए थे, उनमें मृत्यु दर ज्यादा देखी जा रही है।