कोलकाता में RTPCR टेस्ट करवाने वाला हर दूसरा व्यक्ति कोविड पॉजिटिव
देश इन दिनों कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर का सामना कर रहा है और कई शहरों में हालात बेहद खराब हो गए हैं।
दिल्ली जहां महामारी की चौथी लहर का सामना कर रही है, वहीं बेंगलुरू में देश के सबसे ज्यादा सक्रिय मामले हैं।एक और मेट्रो शहर कोलकाता में भी स्थिति चिंताजनक बनी हुई है। एक रिपोर्ट के अनुसार, यहां RT-PCR टेस्ट कराने वाला हर दूसरा व्यक्ति कोरोना संक्रमित पाया जा रहा है।
बंगाल में हर चौथे टेस्ट की रिपोर्ट पॉजिटिव
टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार, कोलकाता में हर दूसरे और बंगाल में हर चौथे RT-PCR टेस्ट की रिपोर्ट पॉजिटिव आ रही है। महीने की शुरुआत की तुलना में पॉजिटिविटी रेट में कई गुना का उछाल आया है।
ऐसे बढ़ती रही पॉजिटिविटी रेट
राज्य में RT-PCR टेस्ट करने वाली सबसे बड़ी लैबोरेट्रीज में से एक के डॉक्टर ने बताया, “कोलकाता और आसपास की लैबोरेट्रीज 45-55 फीसदी पॉजिटिविटी दर्ज कर रही हैं, जबकि राज्य के दूसरे हिस्सों में यह 24 फीसदी है। महीने की शुरुआत में यह 5 फीसदी थी।”
1 अप्रैल को बंगाल में पॉजिटिविटी रेट 4.9 प्रतिशत, 7 अप्रैल को 8.1 प्रतिशत, 15 अप्रैल को 16 प्रतिशत, 23 अप्रैल को 24 प्रतिशत और 24 अप्रैल को यह बढ़कर 25.9 प्रतिशत हो गई।
इसकी वजह क्या है?
पॉजिटिविटी रेट के इस स्तर पर होने का कारण बताते हुए माइक्रोबायोलॉजिस्ट भास्कर नारायण चौधरी कहते हैं कि पहली वजह तो वायरस के नए वेरिएंट का अधिक संक्रामक होना है। अधिकतर मामलों में पूरे के पूरे परिवार संक्रमित हो रहे हैं।
दूसरा कारण बताते हुए वो कहते हैं कि अभी केवल वही लोग टेस्ट कराने जा रहे हैं, जिनमें महामारी के लक्षण नजर आ रहे हैं। राज्य में कई जगहों पर पॉजिटिविटी रेट 55 प्रतिशत तक पहुंच गई है।
यहां देखिये पॉजिटिविटी रेट में अंतर
रिपोर्ट के मुताबिक, 1 अप्रैल को पश्चिम बंगाल में 25,766 सैंपलों में से केवल 1,274 पॉजिटिव पाए गए थे। इसकी तुलना में 24 अप्रैल को 55,060 टेस्ट किए गए, जिनमें से 14,281 की रिपोर्ट पॉजिटिव आई है।
विधानसभा चुनाव के चलते वड़ा पॉजटिव रेट
हां यह भी याद दिला देना जरूरी है कि बंगाल इन दिनों विधानसभा चुनावों के बीच में है। यहां 27 मार्च को पहले चरण के लिए मतदान हुआ था और 29 अप्रैल को आठवें और आखिरी चरण के लिए वोट डाले जाएंगे।
चुनावों के दौरान राजनीतिक दलों ने बड़ी-बड़ी रैलियां की थीं, जिनमें कोरोना से बचाव के नियमों की जमकर धज्जियां उड़ी थीं। छह चरण पूरे होने के बाद चुनाव आयोग ने खानापूर्ति करते हुए रैलियों पर रोक लगाई थी।