भोजन माता विवाद में नई ख़बर ये है
भोजनमाता विवाद में नई ख़बर ये है कि अनुसूचित जाति के कई बच्चों ने अब ब्राह्मण महिला के हाथ का बना मिड डे मील खाने से इनकार कर दिया है। वे अपने घर से टिफ़िन ला रहे हैं। सुनीता देवी का कहना है कि जब उनके हाथ से सवर्णों ने नहीं खाया तो उनके बच्चे क्यों सवर्णों के हाथ का खाएं बना खाए।
इस पूरी घटना को बीबीसी हिंदी ने बेहतर ढंग से कवर किया है
इस घटना पर उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत जी का भी एक बयान फेसबुक पर आया है उन्होंने कहा है की दलित परिवार की भोजन माता को हटाना भाजपा की मानसिकता को दिखाता है
पूरे घटनाक्रम पर पूरे देश की नजर है इसी को लेकर डी प्रिंट के पत्रकार और प्रोफेसर दिलीप मंडल ने ट्विटर पर एक ट्वीट भी किया जिस पर लिखा उत्तराखंड में भोजन माता विवाद पर ब्राह्मण द्वारा बनाए खाने का बहिष्कार
https://twitter.com/Profdilipmandal/status/1474430532335374364?t=QlcQ43Uumj1XfT7XFlKWDw&s=19
उन्हीं के ट्वीट पर एक रिप्लाई करते सतीश जटिया नामक यूजर भी लिखता है। ब्रह्मण महिला के हाथ का बनाया हुआ भोजन का भी बहिष्कार जरूरी है। और दलित बाहुल्य गांवो शहर कस्बों गली मोहल्ला मे ब्रहाम्ण ओर अन्य जातिवादी स्वर्ण जातियों का धार्मिक सामाजिक आर्थिक बहिष्कार की सख्त जरूरत है
वही एक सतीश द्विवेदी नामक यूज़र ने करते हुए लिखा।
वही एक टि्वटर यूजर्स सतीश मीना लिखते हैं
जब सभी हिन्दू है सभी का DNA एक है।
फिर कौन है जो दलित भोजनमाता के हाथों बना हुआ खाना नहीं खाता ? कौन है जो उसे उसके दलित होने के चलते नौकरी से हटा रहा हैं ?
यही जाति है ब्राह्माणवाद हैं।
अशोक बिष्ट लिखते हैं
कल से आगे..!
दलित भोजनमाता का खाना बच्चों ने खाने से इंकार किया और जाँचकर्ता भोजनमाता की ही नौकरी खा गये।
“मैंने अजब ये रस्म देखी कि ब रोज़े ईदे कुर्बां,
वही ज़िबह भी करे वही ले सवाब उल्टा।
हालांकि इस पूरे घटनाक्रम को लेकर उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने जांच के आदेश दे दिए