स्विस नेशनल बैंक (एसएनबी) के डाटा के मुताबिक, साल 2019 के अंत तक भारतीयों की जमा रकम का आंकड़ा 899 मिलियन स्विस फ्रैंक (6,625 करोड़ रुपये) था। 2019 का आंकड़ा दो साल की गिरावट के ट्रेंड के उलट था और पिछले 13 साल में बैंक में भारतीयों की जमा का सर्वोच्च स्तर था।
बैंक के मुताबिक, इससे पहले साल 2006 में लगभग 6.5 बिलियन स्विस फ्रैंक के साथ भारतीयों की जमा रकम ने रिकॉर्ड उच्च स्तर छुआ था, लेकिन इसके बाद 2011, 2013 और 2017 को छोड़कर स्विस बैंक में पैसा जमा कराने में भारतीयों ने ज्यादा रुचि नहीं दिखाई थी। लेकिन 2020 ने जमा रकम के सारे आंकड़े पीछे छोड़ दिए। साल 2020 में भारतीय जमा राशि में जहां निजी कस्टमर खातों की हिस्सेदारी करीब 4000 करोड़ रुपये थी, वहीं 3100 करोड़ रुपये अन्य बैंकों के जरिये जमा कराए गए थे।
इसमें 4000 करोड़ रुपये से ज्यादा कस्टमर डिपॉजिट…… 13,500 करोड़ रुपये बॉन्ड, सिक्योरिटीज व अन्य वित्तीय विकल्पों से, 3100 करोड़ रुपये दूसरे बैंकों के माध्यम से, 16.5 करोड़ रुपये ट्रस्ट के जरिए जमा हुए हैं।
इसके पहले स्विस बैंकों में ऐसा ही रिकॉर्ड 2006 में भी बना था। उस दौरान स्विस बैंकों में भारतीयां की जमा राशि लगभग 6.5 अरब स्विस फ्रैंक्स थी। हालांकि ये आंकड़ा बाद के दिनों में गिरने लगा।
अगर वर्ष 2011, 2013 और 2017 को छोड़ दिया जाए तो स्विस बैंकों में भारतीय नागरिकों अथवा कंपनियों द्वारा जमा की जाने वाली धन राशि में गिरावट देखने को मिली।
मालूम हो कि इस आंकड़े में भारतीय नागरिकों के सभी तरह के फंड्स को संलग्न कर रिपोर्ट जारी किया जाता है।
ये आंकड़े स्विस बैंकों में भारतीय नागरिकों के काले धन की राशि को नहीं दर्शाते हैं, अर्थात ये पूरे आंकड़े कानूनन रुप से जमा धन राशि की है।
केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार को देश के सामने यह बताना चाहिए कि कैसे कोरोना की महामारी में इतने व्यापक पैमाने पर देश का पैसा स्विस बैंकों में जमा हो गया क्योंकि काला धन वापस लाने के नाम पर ही देश की जनता ने उन्हें बहुमत दिया था।
वहीं इस मामले में सामाजिक कार्यकर्ता यश मेघवाल ने अन्ना हजारे और बाबा रामदेव पर निशाना साधा है। उन्होंने ट्वीट कर लिखा है कि “साल 2020 में स्विस बैंक में जमा भारतीयों का काला धन 20,000 करोड़ रुपया बढ़ गया है, हैरत की बात नहीं कि अन्ना हज़ारे और लाला रामदेव दोनो मुँह छुपाए बैठे हैं।”