दिल्ली हाई कोर्ट : जज ने कहा-जिस किसी ने ऑक्सिजन सप्लाई में बाधा डाली, उसे फांसी दे देंगे
महाराजा अग्रसेन हॉस्पिटल ने ऑक्सीजन दिलाए जाने की मांग लेकर दिल्ली हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया तो जज का गुस्सा सातवें आसमान पर चला गया। उन्होंने कहा कि अगर किसी ने ऑक्सिजन की आपूर्ति में खलल डाली तो उसे फांसी की सजा सुनाई जाएगी, वो चाहे कोई भी हो। दरअसल, मामले की सुनवाई के दौरान दिल्ली सरकार ने अदालत में कहा कि राष्ट्रीय राजधानी में दूसरे राज्यों से ऑक्सिजन की सप्लाई में बाधा डाली जा रही है। इस पर जस्टिस विपिन सांघी और जस्टिस रेखा पल्ली की बेंच काफी सख्त टिप्पणियां कर रही है।
हाई कोर्ट: क्या ऑक्सिजन टैंक निकल गए हैं?
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के सचिवः हां, टैंकर निकल गए हैं। सरकार की तरफ से कोशिशों में जरा भी कमी नहीं है।
जस्टिस सांघीः तीन दिनों से हम एक ही तरह की कहानी देख रहे हैं। हमें पता है कि हालात क्या है।
दिल्ली सरकार: हमें जितनी ऑक्सीजन मिलेगी, वही हम सप्लाई कर सकेंगे। हम दिल्ली में ऑक्सिजन नहीं बना पा रहे हैं। केंद्र सरकार की ओर से महज भरोसे दिए जा रहे हैं।
जस्टिस सांघी (दिल्ली सरकार से) : लेकिन मिस्टर राहुल मेहरा (दिल्ली सरकार के वकील) आप एक जिम्मेदार सरकार होने के चलते इस जिम्मेदारी से बच नहीं सकते। हमें पता है कि स्थिति क्या है।
अगर ऐसा कोई उदाहरण है तो साफ साफ बताएं। हम छोड़ेंगे नहीं उस अधिकारी को क्योंकि हम साफ अपने आदेश में कह चुके हैं। जिसने भी ऑक्सिजन आपूर्ति में रुकावट डाली, उसे हम फांसी पर लटका देंगे।
दिल्ली सरकार की तरफ से राहुल मेहराः दिल्ली में 100 एमटी ऑक्सिजन की कमी है। बावजूद इसके हमारे 100 एमटी कम कर दिए जाएंगे, जो इस वक्त की सबसे ज्यादा जरूरत है तो हम क्या करेंगे।
जस्टिस सांघीः क्यों यह कमी आ रही है जब आपको 480 एमटी आवंटित है? सप्लाई क्यों नहीं हो पा रही है?
दिल्ली सरकार की तरफ से मेहराः 24 घंटे में हालात नहीं सुधरे तो स्थिति हाथ से निकल जाएगी। केंद्र सरकार के अधिकारियों की तरफ से किसी भी तरह का भरोसा लिखित में आना चाहिए। नोडल ऑफिसरों पर बहुत ज्यादा बर्डन है। 4-5 अधिकारियों से कुछ नहीं होने वाला है।
दिल्ली सरकार के वकील मेहराः कम से कम 10 आईएएस अधिकारी मॉनिटरिंग के काम पर लगाए जाने चाहिए। इसके अलावा 24 अफसरों को रोज इस काम में लगाया जाए। हमारे पास 140 अस्पताल और नर्सिंग होम्स हैं।
मेहराः दूसरे राज्यों में सड़कों पर अब टैंकरों को नहीं रोका जा रहा है, क्योंकि यह साफ दिखने लगता है। अब फैक्ट्रियों पर राशनिंग हो रही है, जहां उत्पादन होता है। केंद्र को चाहिए कि राज्यों से कहे कि सप्लाई में रुकावट पैदा न करें।
जस्टिस सांघी: अगर ऐसा कोई उदाहरण है तो साफ साफ बताएं। हम छोड़ेंगे नहीं उस अधिकारी को क्योंकि हम साफ अपने आदेश में कह चुके हैं। जिसने भी ऑक्सिजन आपूर्ति में रुकावट डाली, उसे हम फांसी पर लटका देंगे।
केंद्र सरकार के अधिकारी डाबरा: बाहर से सप्लाई दिल्ली तक आ चुकी है। समस्या लोकल लॉजिस्टिक में आ रही है। दिल्ली सरकार को देखना होगा जहां तक मेरी जानकारी है। मांग कई गुणा बढ़ चुकी है। लेकिन दिल्ली सरकार के साथ आज बैठक है जिसमें इन सभी मुद्दा पर चर्चा की जाएगी। लॉजिस्टिक सिस्टम को और एफिशियंट बनाने की जरूरत है।
सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने मेहरा से कहा: बाहर की बातें न करें, अदालत को बताएं।
दिल्ली सरकार के वकील मेहराः हमें अगर आवंटित कोटे से ही कम ऑक्सिजन मिलेगी तो हम क्या करेंगे। हम प्रोरेटा बेसिस पर अस्पतालों को ऑक्सिजन का आवंटन करना होगा। क्योंकि हमें तीन दिन से ही कम ऑक्सिजन मिल रही है, जितनी हमारी जरूरत है।
सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहताः मैं मुद्दे को सेंशनालाइज नहीं करना चाहा क्योंकि मानवता से जुड़ा है। दूसरा हमें पैनिक क्रिएट नहीं करना है। इसीलिए मैं कोई नैरेटिव नहीं देता। इसीलिए मैं अनुरोध करता हूं कि दिल्ली सरकार के किसी सीनियर अधिकारी को अदालत के सामने लाया जाए।
जस्टिस सांघीः उदित (नोडल ऑफिसर) कहां हैं?
दिल्ली सरकार के वकील मेहराः वह लगातार काम कर रहे हैं क्योंकि वे कई घंटों से काम कर रहे हैं इसलिए उन्हें रिलीव किया गया है।
सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता: क्या यह कारण हो सकता है राहुल? उदित न आ सके तो चीफ सेक्रेअरी को बुलाया जा सकता है।
दिल्ली सरकार के वकील मेहराः जब शहर में ऐसी स्थिति हो और चीफ सेक्रेटरी की एक-एक मिनट की अहमियत हो, तो क्या यह सही होगा?
दिल्ली सरकार के वकील मेहराः हमें बस केंद्र सरकार की ओर से यह बता दिया जाए कि 100 एमटी ऑक्सिजन कब तक हमारे यहां पहुंचेगी, जैसा कि वादा किया गया।
सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहताः मुझे इसमें कोई आपत्ति नहीं है। चीफ सेक्रेटरी पर काम का बहुत बोझ है। वह 22 घंटे काम कर रहे हैं एक दिन में। उनके कंधों पर दिल्ली की जिम्मेदारी है और हमारे अधिकारियों पर पूरे देश की। फिर भी उनकी मौजूदगी इसीलिए जरूरी है क्योंकि मामला मानवता का है।
पीयूष गोयलः हम पूरी कोशिश कर रहे हैं, कंपनियों से टाइअप किया गया है। रेलवे को लगा दिया गया है। सप्लायर्स से बात की जा रही है जिनका कहना है कि कन्साइनमेंट तैयार है उन्हें लेने कोई नहीं आ रहा है। दिल्ली सरकार को इसकी व्यवस्था करनी होगी।
जस्टिस सांघीः हम कभी अधिकारियों को अदालत में नहीं बुलाना चाहता हैं, लेकिन यह इमर्जेंसी सिचुएशन है।
बत्रा हाम्स्पिटलः हमारे यहां 33 कोरोना मरीज आईसीयू में हैं। हमारे पास इस वक्त सिर्फ इतनी ऑक्सीजन है कि एक घंटे का काम चल जाए।
जस्टिस सांघीः हम उन्हें (अस्पतालों) इसीलिए सुन रहे हैं क्योंकि वे आपात सिचुएशन में आ रहे हैं। पर वे भी जानते हैं कि वे सरकार द्वारा रेगुलेट होते हैं। सारे अधिकारी समस्या का समाधान निकालने में जुटे हैं।
जयपुर गोल्डन अस्पताल का मुद्दा उठा
गोल्डन अस्पतालः हमने ऑक्सिजन की कीम के वजह से कल 25 जिंदगियों को खो दिया है। मरीजों की जानें जा रही हैं। हमें अब उन मरीजों की चिंता है जो हमारे अस्पताल में भर्ती हैं। मामले की गंभीरता को समझना बहुत जरूरी है।
दिल्ली सरकार के वकील मेहराः सरकार को आज नहीं पता कि किस सप्लायर से किस अस्पताल को कितनी ऑक्सिजन मिलती है। हमें सिर्फ वॉट्सऐप पर मेसेज मिल रहा है कि सप्लाई नहीं हो रही है। क्योंकि अस्पतालों के सप्लायर्स के साथ पहले से कॉन्ट्रैक्ट चल रहे हैं। हमें ऐंड टु ऐंड चेक करना होगा कि शॉटफॉल कहां है। दूसरा मुद्दा रीफिलिंग यूनिट को भी बताना होगा कि किस अस्पतालों को कितनी ऑक्सिजन दी गई। डॉक्यूमेंटेशन की जरूरत है। तभी स्ट्रीमलाइन करना होगा।
सॉलिसिटर जनरलः यही मैं कह रहा हूं कि दिल्ली सरकार को स्ट्रीम लाइन करना होगा। एफिशियंट मकैनिजम बनाना होगा दिल्ली सरकार को।