आखिर कैसे जीता तालिबानः अफ़ग़ानिस्तान
20 साल बाद तालिबान अफगानिस्तान की सत्ता में लौट रहा है. जैसे वे लौटे हैं, उसकी कल्पना 2021 के शुरू में मुश्किल थी. लेकिन 10 तारीखों ने इतिहास बदल दिया. जानिए, कौन सी थीं वे 10 अहम तारीखें
14 अप्रैलः तालिबान की जीत का पहला कदम
अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने ऐलान किया कि 1 मई से अमेरिकी फौजों की अफगानिस्तान से स्वदेश वापसी शुरू हो जाएगी और 31 अगस्त तक पूरी हो जाएगी.
4 मईः हमले शुरू
तालिबान ने अफगानिस्तान की सरकारी फौज के खिलाफ दक्षिणी हेलमंद प्रांत में सैन्य अभियान शुरू किया. उसी वक्त छह प्रांतों में एक साथ यह अभियान शुरू हुआ था.
11 जूनः नेर्ख
तालिबान ने काबुल के नजदीक नेर्ख जिले पर कब्जा कर लिया. इसी वक्त देशभर में कई जगहों पर भारी जंग जारी थी.
22 जूनः पहली चेतावनी
अफगानिस्तान में संयुक्त राष्ट्र की विशेष दूत ने कहा कि तालिबान ने 370 में से 50 जिलों पर कब्जा कर लिया है.
2 जुलाईः खाली हुआ बगराम
अमेरिकी फौजों ने चुपचाप बगराम हवाई अड्डे को खाली कर दिया. अमेरिकी सैनिक रातोरात वहां से चले गए, जो प्रभावी तौर पर अमेरिका की अफगानिस्तान में युद्ध से हटने का प्रतीक था.
5 जुलाईः हर ओर जीत
तालिबान ने कहा कि वे अगस्त की शुरुआत से पहले अफगान सरकार को एक लिखित शांति प्रस्ताव भेज सकते हैं.
6 अगस्तः जरांज
तालिबान ने दक्षिण में ईरान से लगती सीमा पर स्थित निमरूज प्रांत की राजधानी जरांज पर कब्जा कर लिया जो सालों बाद उसके कब्जे में आई पहली प्रांतीय राजधानी थी. इसके बाद शहरों पर कब्जे का सिलसिला शुरू हो गया.
13 अगस्तः कंधार
तालिबान ने अफगानिस्तान के दूसरे सबसे बड़े शहर कंधार पर कब्जा कर लिया. इसके साथ ही पश्चिम में हेरात भी अफगान सेना के हाथ से चला गया.
14 अगस्तः जलालाबाद
उत्तर के सबसे बड़े शहर मजार ए शरीफ पर तालिबानी झंडा फहरा गया. अमेरिका ने कहा कि वह अपने कर्मचारियों को निकालने के लिए और सैनिक भेज रहा है. तालिबान के लड़ाके काबुल की ओर बढ़ रहे थे और जलालाबाद में उनका कोई विरोध नहीं हुआ.
15 अगस्तः काबुल
तालिबान ने अफगानिस्तान की राजधानी काबुल में प्रवेश कर लिया. राष्ट्रपति अशरफ गनी ने देश छोड़ दिया. अमेरिका और अन्य पश्चिमी देशों के कर्मचारी भी काबुल से निकल गए. तालिबान के कमांडर राष्ट्रपति भवन में घुस गए