चंदा की चटनी : अयोध्या मेयर के भतीजे ने 20 लाख में खरीदी जमीन, ट्रस्ट को 2.5 करोड़ में बेची
यह जमीन मेयर ऋषिकेश उपाध्याय के भांजे दीप नारायण ने फरवरी 2021 में खरीदी थी. तीन महीने बाद मई में 2.50 करोड़ में रामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र को बेच दिया. इस जमीन का सर्किल रेट 35.6 लाख रुपए है.
अयोध्या में जमीन खरीद का एक और विवाद सामने आया है. आरोप है कि 20 लाख की जमीन को राम जन्मभूमि तीर्थ ट्रस्ट को 2.5 करोड़ में बेचा गया. खबरों के मुताबिक, सिर्फ तीन महीने के भीतर बीस लाख की जमीन ढाई करोड़ में बेची गई है.
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अयोध्या के जिस इलाके में भव्य राम मंदिर का निर्माण चल रहा है उसी से सटा ज़मीन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है. कोट रामचंद्र इलाके में स्थित इस भूमि की संख्या है 135 (कुल 0.89 हेक्टेयर) इस साल के फरवरी महीने तक महंत देवेंद्र प्रसादाचार्या के नाम थी. 20 फरवरी, 2021 को दीप नारायण उपाध्याय नाम के एक शख्स ने 20 लाख रुपए में उनसे यह जमीन खरीद लिया.
न्यूज़लॉन्ड्री को मिले दस्तावेज से पता चलता है कि दीप नारायण ने तीन महीने बाद 11 मई, 2021 को वही ज़मीन राम मंदिर निर्माण के लिए बने राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट को 2 करोड़ 50 लाख रुपए में बेच दिया. यानी तीन महीने के भीतर 12 गुना से अधिक कीमत पर बेचा गया. इस ट्रस्ट की स्थापना सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद नरेंद्र मोदी सरकार द्वारा की गई है.
दीप नारायण कौन है?
20 लाख रुपए में जमीन खरीद कर तीन महीने बाद ट्रस्ट को दो करोड़ 50 लाख में बेचने वाले दीप नारायण भारतीय जनता पार्टी के नेता हैं और अयोध्या के मेयर ऋषिकेश उपाध्याय के सगे भांजे हैं. नारायण अपने सोशल मीडिया फेसबुक पर खुद को बीजेपी का ‘सक्रिय कार्यकर्ता’ बताते हैं. उनके फेसबुक पर ज़्यादातर तस्वीरें ऋषिकेश उपाध्याय की हैं.
यहां ज़मीन ‘घोटाले’ का यह मामला दिलचस्प हो जाता है. ऋषिकेश उपाध्याय अयोध्या के मेयर हैं, और पिछले जमीन ‘घोटाले’ में बतौर गवाह मौजूद रहे हैं. उपाध्याय के ऊपर लगातार इस ‘घोटाले’ में उंगलियां उठ रही हैं. यह ताजा मामला खुद उनके भांजे का है.
जिस जमीन को दीप नारायण ने तीन महीने के भीतर 12 गुना ऊंची कीमत पर राम मंदिर ट्रस्ट को बेचा उसकी कीमत सर्किल रेट के मुताबिक 35.6 लाख रुपए है. यानी फरवरी महीने में नारायण ने सर्किल रेट से 15 लाख रुपए कम में इस जमीन को खरीदा और तीन महीने बाद 2 करोड़ 50 लाख में बेच दिया.
अगर प्रति वर्ग मीटर के हिसाब से देखें तो इस जमीन का सर्किल रेट 4,000 रुपए प्रति वर्ग मीटर है. लेकिन दीप नारायण ने महंत प्रसादाचार्य से 2,247 रुपए प्रति वर्ग मीटर की दर से खरीदा और ट्रस्ट को 28,090 रुपए प्रति वर्ग मीटर की दर से बेचा.
दीप नापायण से ट्रस्ट का दूसरा सौदा
ट्रस्ट ने फरवरी महीने में दीप नारायण से एक और जमीन खरीदी थी. 20 फरवरी, जिस रोज दीप नारायण ने 20 लाख रुपए में जमीन खरीदी उसी रोज कोटा रामचंद्र में ही एक और जमीन, जिसकी संख्या 36 है, उसने राम जन्म भूमि तीर्थ क्षेत्र के चंपत राय को बेची है.
बैनामा पर इस जमीन की बिक्री का दिन 20 फरवरी दर्ज है लेकिन बिक्री को लेकर जारी डिजिटल कॉपी में ग़लती से 22 फरवरी दर्ज है.
यह सौदा भी मोटी कीमत अदा करके हुआ है. 676.85 वर्गमीटर वाली इस जमीन का सर्किल रेट के मुताबिक कीमत 27 लाख आठ हज़ार रुपए है. इस जमीन को दीप नारायण उपाध्याय ने एक करोड़ रुपए में राम मंदिर ट्रस्ट को बेचा है. यानी 14,774 रुपए प्रति वर्गमीटर की दर से. अशर्फी भवन के पास स्थित यह जमीन नवनिर्माण राम मंदिर से पांच सौ मीटर दूरी पर है. ऋषिकेश उपाध्याय ने बताया कि यह जमीन दीप नारायण की पैतृक जमीन है.
क ही दिन एक ही आसपास क्षेत्र में एक जगह दीपनारायण ने सर्किल रेट से आधी कीमत पर जमीन खरीदी और उसी क्षेत्र में ट्रस्ट को तीन गुना कीमत पर बेची है.
अनिल मिश्रा राम मंदिर तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के सदस्य की भूमिका
इन दोनों जमीनों की खरीद-फरोख्त में एक गवाह अनिल कुमार मिश्रा है. अनिल मिश्रा राम मंदिर ट्रस्ट के एक सदस्य हैं, ये वही मिश्रा हैं जो बाग बिजैसी वाली जमीन की खरीद में भी गवाह रहे हैं.
ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय ने 11 मई को दीप नारायण से ज़मीन खरीदी. इसमें दो गवाह हैं. एक गवाह राज कुमार दास हैं और दूसरे अनिल मिश्रा हैं.
न्यूज़लॉन्ड्री को मिले दस्तावेजों के मुताबिक 20 फरवरी को दीपनारायण ने महंत देवेंद्र प्रसादाचार्या से जो जमीन खरीदी उसका सर्टिफिकेट शाम के पांच बजे जारी हुआ. और इसी शाम को 7 बजकर 22 मिनट पर दीप नारायण ने ट्रस्ट को अपनी दूसरी जमीन एक करोड़ में बेच दी.
यहां एक महत्वपूर्ण सवाल उठता है कि अनिल मिश्रा जो कि राम मंदिर ट्रस्ट के एक सदस्य भी हैं उन्होंने बतौर गवाह फरवरी महीने में जिस रोज दीप नारायण द्वारा ट्रस्ट को एक करोड़ में बेचे गए जमीन में गवाह बने उसी दिन दीप नारायण ने 20 लाख रुपए में महंत प्रसादाचार्या से जमीन खरीदी थी. वही जमीन मई महीने में 2 करोड़ 50 लाख में बतौर गवाह राम मंदिर ट्रस्ट को दिलवा दी.
क्या अनिल मिश्रा को पता नहीं था कि तीन महीने के भीतर वो 20 लाख की ज़मीन को 2 करोड़ 50 लाख में बिकवा रहे हैं? और क्या उन्हें यह भी पता नहीं था कि दीप नारायण मेयर ऋषिकेश उपाध्याय के सगे भांजे हैं.
इन सवालों के जवाब के लिए हमने अनिल मिश्रा से संपर्क किया, लेकिन उनसे कोई संपर्क नहीं हो पाया.
अब तक सामने आए मामलों में एक ही ‘पैटर्न’
राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट पर 12 जून को आम आदमी पार्टी और सामाजवादी पार्टी ने घोटाले का आरोप लगाया. आरोप है कि 18 मार्च को कुछ मिनट पहले दो करोड़ में बिकी 1.3 हेक्टेयर जमीन को ट्रस्ट ने 18.5 करोड़ में खरीद लिया था.
यही पैटर्न कोट रामचंद्र मामले में भी नजर आता है. दोनों खरीद-बिक्री में केंद्रीय किरदार मेयर ऋषिकेश उपाध्याय हैं.
मेयर ऋषिकेश उपाध्याय का कुटुंब प्रेम
दरअसल बाग़ बिजैसी इलाके में 18 मार्च को हरीश पाठक और कुसुम पाठक ने 1.3 हेक्टेयर जमीन सुल्तान अंसारी और रवि मोहन तिवारी को पहले दो करोड़ में बेचा था. इस जमीन का सर्किल रेट 5 करोड़ 79 लाख रुपए था. पाठक और तिवारी ने कुछ ही मिनट बाद 18.5 करोड़ रुपए में इसे ट्रस्ट को बेच दिया.
अब रवि मोहन तिवारी के बारे में भी जान लीजिए. तिवारी अयोध्या के मेयर ऋषिकेश उपाध्याय के समधी शीतला पाठक के साले हैं.
ऐसे ही कोट रामचंद्र में मौजूद जमीन की बिक्री में मेयर के भांजे दीप नारायण पहले सर्किल रेट से सस्ते दर पर जमीन खरीदते हैं. तीन महीने बाद उसे 12 गुना ज़्यादा कीमत पर ट्रस्ट को बेच देते हैं.
इसी सप्ताह न्यूज़लॉन्ड्री ने अपनी रिपोर्ट में बताया कि हरीश पाठक पर उत्तर प्रदेश के अलग-अलग जिलों में धोखाधड़ी के कई मामले दर्ज हैं. उनके घर की कुर्की हो चुकी है. उनसे हुई हर खरीद बिक्री में अनिल मिश्रा और मेयर ऋषिकेश उपाध्याय गवाह थे. दरअसल अनिल कुमार मिश्रा और मेयर ऋषिकेश उपाध्याय ट्रस्ट द्वारा खरीदी गई ज़्यादातर जमीनों में गवाह हैं.
सर्किल रेट से कम कीमत पर कैसे मिली नारायण को मिली जमीन
दीपनारायण ने महंत प्रसादाचार्य से 2,247 रुपए प्रति वर्ग मीटर की दर से जमीन खरीद कर ट्रस्ट को 28,090 प्रति वर्ग मीटर की दर से बेचा. जबकि यहां सरकार द्वारा तय सर्किल रेट 4000 रुपए प्रति वर्ग मीटर है.
सर्किल रेट से कम कीमत पर राम मंदिर के करीब दीप नारायण को मिली जमीन सवालों के घेरे में हैं. इसको लेकर जब हमने दीप नारायण से संपर्क किया, लेकिन उनसे बात नहीं हो पाई. हमने उन्हें सवाल मैसेज और मेल पर भेजा है. अगर जवाब आता है तो खबर में जोड़ दिया जाएगा.
ऋषिकेश उपाध्याय से हमने दीप नारायण से उनसे संबंधों को लेकर सवाल किया तो ना स्वीकार किया और ना ही इंकार किया. उपाध्याय कहते हैं, ‘‘पूरा अयोध्या मेरा जानने वाला है. मुझ पर आरोप राजनीति कारणों से लग रहे हैं. आपको पता है कि विधानसभा का चुनाव करीब है.’’
दीप नारायण से ट्रस्ट के बीच हुई खरीद बिक्री को लेकर उपाध्याय कहते हैं, ‘‘इसका जवाब तो ट्रस्ट के लोग और दीप नारायण ही दे सकते हैं.’’ इसके साथ ही मेयर यह जोड़ देते हैं, ‘‘आप इन्हीं जमीनों की कीमत क्यों देख रहे हैं. ट्रस्ट ने कोट रामचंद्र में और भी जमीनें खरीदी है. उसकी भी कीमत देखिए.’’
इन तमाम खरीद-बिक्री पर उठ रहे सवालों को लेकर हमने मंदिर ट्रस्ट के महासचिव और विश्व हिन्दू परिषद के अन्तर्राष्ट्रीय महासचिव चम्पत राय से भी संपर्क किया लेकिन उनसे बात नहीं हो पाई. राय इन दिनों मीडिया से बात नहीं कर रहे हैं.
राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट फरवरी-मार्च से अयोध्या में काफी जमीनें खरीद रहा है. जमीन खरदीने का सिलसिला इसी साल चले चंदा अभियान में भारतियों द्वारा करोड़ों का चंदा देने के बाद शुरू हुआ. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक विश्व हिन्दू परिषद ने बताया था कि कि 4 मार्च तक बैंकों की रसीदों के अनुसार राम मंदिर निर्माण के लिए लोगों ने 2,500 करोड़ रुपये से अधिक दान दिए हैं. इसके बाद भी दान का सिलसिला रुका नहीं है.