हरियाणा के करनाल में लाठीचार्ज के बाद किसान सुशील काजल की मौत, बॉर्डर पर किसानों ने रद्द किए कार्यक्रम
किसान नेता गुरनाम सिंह चढ़ूनी ने ट्वीट कर कहा कि भाई सुशील काजल डेढ़ एकड़ के किसान थे। वह 9 महीने से आंदोलन में अपनी हिस्सेदारी दे रहे थे। कल करनाल टोल प्लाजा पर जो पुलिस ने लाठियां चलाईं। उनको बहुत चोट आई थी।
Hryana भाजपा नेताओं की बैठक का विरोध कर रहे किसानों पर बर्बर लाठीचार्ज किया गया। इस दौरान दर्जनों किसान बुरी तरह घायल हुए। वहीं अब खबर है कि कथित तौर पर लाठीचार्ज के बाद एक किसान सुशील काजल की मौत हो गई है। हालांकि मृतक के परिजनों ने अभी तक इस मामले पर कुछ नहीं कहा है। सुशील काजल की मौत पर किसान नेता गुरनाम सिंह चढूनी ने ट्वीट कर कहा कि भाई सुशील काजल डेढ़ एकड़ के किसान थे। वह नौ महीने से आंदोलन में अपनी हिस्सेदारी दे रहे थे। कल 28 अगस्त कोकरनाल टोल प्लाजा पर जो पुलिस ने लाठियां चलाईं। उनको बहुत चोट आयी थीं। रात को हार्ट फेल के कारण शरीर त्यागकर भगवान को प्यारे हो गए। हम उनके बलिदान के आभारी रहेंगे।
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चढूनी ने रविवार को ट्वीट कर कहा, ‘भाई सुशील काजल जो डेढ़ एकड़ के किसान थे, नौ महीने से आंदोलन में अपनी हिस्सेदारी दे रहे थे. कल (शनिवार) करनाल टोल प्लाजा पर पुलिस ने जो लाठियां चलाई थीं, उनको बहुत चोट आई थीं और रात को हार्ट फेल होने के कारण शरीर त्याग कर भगवान को प्यारे हो गए. किसान कौम इनके बलिदान की सदा आभारी रहेगी.’
इस मामले पर करलाल के एसपी गंगा राम पुनिया ने कहा है कि वह (किसान) किसी अस्पताल नहीं गए. वह सामान्य हालत में घर गया और सोते समय उसकी मृत्यु हो गई. कुछ लोग कह रहे हैं कि उनकी मौत हार्ट अटैक से हुई है. पुलिस द्वारा (करनाल में) बल प्रयोग के दौरान लगी चोटों के कारण किसान के मरने की खबरें झूठी हैं. एसपी ने बताया कि अगर यह सच होता तो परिवार के लोग पुलिस के पास आ जाते. हमें ऐसी कोई सूचना नहीं मिली है. इन दोनों घटनाओं का आपस में कोई संबंध ही नहीं है.
वहीं अखिल भारतीय किसान मजदूर सभा के महासचिव डॉक्टर आशीष मित्तल का आरोप है कि पुलिस ने एसडीएम के आदेश पर बसताड़ा टोल, करनाल में किसानों पर लाठियां बरसाई थीं. शुक्रवार रात में ही सुशील ने चोट लगने की वजह से दम तोड़ दिया.