जामताड़ा जिला डिजिटल लुटेरों का गढ़ है जानें कैसे शिकार बनते है लोग
जामताड़ा (Jamtara) भारत के झारखण्ड राज्य के जामताड़ा ज़िले में स्थित एक शहर है। यह ज़िले का मुख्यालय भी है। जामताड़ा को बॉक्साइट की खदानों के लिए भी जाना जाता है। यह खदानें इसकी अर्थव्यवस्था की रीढ़ हैं। खदानों के अलावा जामताड़ा में सादगी भरे गाँव और मनोहारी पर्वत विहार पार्क हैं।
झारखंड का जामताड़ा चर्चाओं में है। नेटफ्लिक्स पर जामताड़ा पर आधारित वेब सीरीज रिलीज हुई है। आखिर ऐसा क्या है यहां, जो यह जिला इतना कुख्यात हो गया? क्यों देश के 22 राज्यों की पुलिस को यहां दबिश देने आना पड़ा? अचानक ऐसा क्या हुआ कि जिन युवकों को साइकिलें तक नसीब नहीं थीं वे महंगी एसयूवी और स्पोर्ट्स बाइक पर घूमने लगे। लाल कार्ड (राशन कार्ड) को तरसने वाले इन लोगों की जेबें एटीएम कार्डों से फटने लगीं?
ये कस्टमर केयर के नाम पर भी लोगों को झांसा देते हैं. सर्च इंजन गूगल पर शातिरों द्वारा फर्जी लिंक डाल दिया जाता है. लोग उसे संबंधित कंपनी का सही लिंक समझ कर जैसे ही खोलते हैं, उनकी सारी निजी व गोपनीय जानकारी शातिरों तक पहुंच जाती है. इनके गिरोह के लोग कार्ड क्लोनिंग में भी माहिर होते हैं. एटीएम स्कीमिंग डिवाइस के जरिए ये उस एटीएम से लेन-देन करने वाले की सारी जानकारी इकट्ठा कर कार्ड की क्लोनिंग करते हैं और फिर उस अकाउंट से पैसे निकाल लेते हैं. आजकल फर्जी फेसबुक आइडी के सहारे ये लोगों से मदद के नाम पर पैसे मांगते हैं. जैसे ही कोई व्यक्ति इनकी मदद को तैयार होता है वे उसकी अकाउंट को अटैच कर चूना लगा देते हैं. डेटा हैक करने में भी इन्हें महारत हासिल है. जामताड़ा के कुछ साइबर अपराधियों ने तो पेटीएम कर्मचारी को मिलाकर उपभोक्ताओं का पूरा डेटा ट्रांसफर करा लिया और लिंक भेजकर ठगी शुरू कर दी. इसी साल जनवरी में इस सिलसिले में तत्कालीन पुलिस कप्तान अंशुमान कुमार ने जितेंद्र मंडल व उसके दो सहयोगियों को गिरफ्तार किया था. इनलोगों ने मुंबई, दिल्ली, हैदराबाद, चेन्नई जैसे शहरों के पेटीएम के खाताधारकों को खासी चपत लगाई थी.
बड़ी हस्तियों को भी नहीं बख्शा
जामताड़ा के साइबर अपराधी कई बड़े राजनेताओं, फिल्म कलाकारों, अधिकारियों व व्यवसायियों को चूना लगा चुके हैं. कई छोटे-बड़े लोग इनके कारण कंगाल हो गए. उनकी बरसों की गाढ़ी कमाई मिनटों में लुट गई और इसका एहसास तक न हो सका. इसी सिलसिले में कुछ दिनों पहले सीताराम मंडल, रामकुमार मंडल, अजय मंडल, संतोष मंडल नामक साइबर अपराधियों को दिल्ली पुलिस ने पकड़ा था. ये सभी शातिर फोन कर लोगों को झांसे में लेने में माहिर हैं. पुलिस रिकॉर्ड के अनुसार सीताराम मंडल ने मुंबई से लौटने के बाद न केवल अपना गिरोह तैयार किया बल्कि इसी फ्रॉड के सहारे करोड़ों की संपत्ति खड़ी कर ली. बताया जाता है कि उसने करीब 400 से ज्यादा युवाओं को साइबर अपराध में सिद्धहस्त बना दिया. दिल्ली-नोएडा समेत कई बड़े शहरों की पुलिस का वह वांछित है.
IPS अधिकारी हुए जालसाजी का शिकार
जानकारी के अनुसार ठगी का शिकार एजीएमयूटी कैडर के आइपीएस अधिकारी अतुल कटियार हुए हैं. अभी वो दिल्ली पुलिस में संयुक्त आयुक्त ट्रांसपोर्ट के पद पर कार्यरत हैं. उनके साथ किसी शख्स ने 28,150 रुपये की ठगी की और इसके लिए उनके क्रेडिट कार्ड की जानकारी का इस्तेमाल किया गया है. हैरानी की बात यह है कि कार्ड ब्लॉक कराने के बावजूद उनके कार्ड से ट्रांजेक्शन का प्रयास किया गया.
साइबर सेल से की शिकायत
जालसाजी का शिकार हुए ज्वॉइंट कमिश्नर ने इसे लेकर स्पेशल सेल की साइबर सेल में एफआईआर दर्ज करवाई है. साइबर सेल को दी गई शिकायत में अतुल कटियार ने बताया है कि उनके एसबीआई कार्ड से 9 अगस्त को दस हजार रुपये फोन पे ऐप पर और 18,150 रुपये किसी अन्य जगह पर खर्च किए गए हैं.
उन्होंने इनमें से कोई भी ट्रांजैक्शन अपने कार्ड से नहीं किया है. इस बात की जानकारी होते ही उन्होंने तुरंत कस्टमर केयर को फोन कर अपने कार्ड को ब्लॉक करवा दिया. कार्ड ब्लॉक होने के बाद भी 20 हजार रुपये का ट्रांजेक्शन अमेजॉन पे ऐप पर करने की कोशिश की गई, लेकिन कार्ड ब्लॉक होने की वजह से ये ट्रांजैक्शन नहीं हो सका.
उसके अलावा इस इलाके के करीब सौ से ज्यादा शातिरों को पुलिस गिरफ्तार कर चुकी है. अभी हाल में ही नई दिल्ली की मैदानगढ़ी पुलिस ने छतरपुर निवासी एक व्यक्ति से ठगी करने वाले जामताड़ा गिरोह के एक सदस्य संदीप को पंजाब के होशियारपुर से गिरफ्तार किया. संदीप का मुख्य काम गिरोह के लिए नए सदस्य बनाना और बैंक के खातों का इंतजाम करना था. संदीप ने पूछताछ में पुलिस को बताया कि उसका सरगना झारखंड के जामताड़ा से ऑपरेट करता है और गिरोह के लोग कमीशन पर पंजाब, राजस्थान, बिहार, गुजरात व बंगाल में काम करते हैं. उसने बताया कि इस काम से वह 25 लाख से ज्यादा की कमाई कर लेता है.
ये कस्टमर केयर के नाम पर भी लोगों को झांसा देते हैं. सर्च इंजन गूगल पर शातिरों द्वारा फर्जी लिंक डाल दिया जाता है. लोग उसे संबंधित कंपनी का सही लिंक समझ कर जैसे ही खोलते हैं, उनकी सारी निजी व गोपनीय जानकारी शातिरों तक पहुंच जाती है. इनके गिरोह के लोग कार्ड क्लोनिंग में भी माहिर होते हैं. एटीएम स्कीमिंग डिवाइस के जरिए ये उस एटीएम से लेन-देन करने वाले की सारी जानकारी इकट्ठा कर कार्ड की क्लोनिंग करते हैं और फिर उस अकाउंट से पैसे निकाल लेते हैं. आजकल फर्जी फेसबुक आइडी के सहारे ये लोगों से मदद के नाम पर पैसे मांगते हैं. जैसे ही कोई व्यक्ति इनकी मदद को तैयार होता है वे उसकी अकाउंट को अटैच कर चूना लगा देते हैं. डेटा हैक करने में भी इन्हें महारत हासिल है. जामताड़ा के कुछ साइबर अपराधियों ने तो पेटीएम कर्मचारी को मिलाकर उपभोक्ताओं का पूरा डेटा ट्रांसफर करा लिया और लिंक भेजकर ठगी शुरू कर दी. इसी साल जनवरी में इस सिलसिले में तत्कालीन पुलिस कप्तान अंशुमान कुमार ने जितेंद्र मंडल व उसके दो सहयोगियों को गिरफ्तार किया था. इनलोगों ने मुंबई, दिल्ली, हैदराबाद, चेन्नई जैसे शहरों के पेटीएम के खाताधारकों को खासी चपत लगाई थी.
न व महंगी गाड़ियां
जंगलों व पहाड़ियों से घिरे जामताड़ा जिले के करमाटांड़ व नारायणपुर ब्लॉक के सौ से अधिक गांव या टोले ऐसे हैं, जो अपनी संपन्नता की कहानी खुद कहते हैं. इन गांवों में आलीशान मकान के आगे महंगी गाडिय़ां लगीं रहती हैं. लेकिन आश्चर्य, इन पर ताला जड़ा रहता है. दरअसल कई घर तो ऐसे हैं जिनका पूरा परिवार इस धंधे में लिप्त है. पुलिस के छापे के डर से दिन में ये गांव या टोले से हटकर बांस या अन्य पौधे के झुरमुट में बैठ लैपटॉप व मोबाइल फोन के सहारे हाईटेक लूट की वारदात को अंजाम देते हैं. इनके मुखबिर इन्हें पुलिस की गाड़ी के गांव की ओर मुड़ने की सूचना पुलिस के पहुंचने से पहले दे देते हैं. इस वजह से पुलिस की गिरफ्त से ये दूर रहते हैं.
इन गांवों के शातिर दूसरे के अकाउंट से पैसे उड़ाकर इतने समृद्ध हो चुके हैं कि रियल इस्टेट व जमीन जैसी प्रॉपर्टी के अलावा कई अन्य धंधों में भी खासा निवेश कर रखा है. जामताड़ा साइबर थाने द्वारा पुलिस मुख्यालय को भेजी गई एक रिपोर्ट के अनुसार करीब दो दर्जन से अधिक शातिरों के नाम की सूची प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) को भेजी गई है. संतोष मंडल, गणेश मंडल, प्रदीप मंडल व पिंटू मंडल के खिलाफ ईडी की कार्रवाई चल रही है. जामताड़ा के निवर्तमान एसपी अंशुमान कुमार कहते हैं, “डेढ़ दर्जन से ज्यादा साइबर लुटेरों की संपत्ति की जांच कर कार्रवाई का प्रस्ताव प्रवर्तन निदेशालय व आयकर विभाग को भेजा गया है. कई तो बीपीएल परिवार हैं जिन्होंने ऑनलाइन ठगी के जरिए अकूत संपत्ति जमा कर रखी है.”
संसाधनों की कमी झेल रही पुलिस
ऐसा नहीं है कि पुलिस हाथ पर हाथ धरे बैठी है. देशव्यापी बदनामी के बाद झारखंड सरकार ने जनवरी 2018 में जामताड़ा में साइबर थाना स्थापित किया. करीब दो सौ मामले दर्ज किए गए तथा तीन सौ ज्यादा शातिरों को गिरफ्तार किया गया. किंतु इन साइबर अपराधियों पर पुलिस अभी तक नियंत्रण नहीं पा सकी है. जो अपराधी पकड़े भी जाते हैं वे संसाधनों की कमी, अनुसंधान की धीमी रफ्तार व सिस्टम की खामियों के चलते जल्द ही जमानत पर छूटकर बाहर आ जाते हैं और फिर अपराध में लिप्त हो जाते हैं. वैसे साइबर अपराध को रोकने व सूचनाएं यथाशीघ्र साझा करने के उद्देश्य से ऑनलाइन इंवेस्टिगेटिंग कॉपरेशन रिक्वेस्ट प्लेटफॉर्म (ओआइसीआर) बनाकर एक बेहतर कोशिश की गई है. इससे अन्य राज्यों से यहां की पुलिस का संवाद बढ़ा है. उत्तर प्रदेश, मध्यप्रदेश, तेलंगाना, हिमाचल प्रदेश, बिहार, कर्नाटक, दिल्ली व महाराष्ट्र जैसे कई राज्यों ने ओआइसीआर के जरिए शातिरों की गिरफ्तारी के लिए उनसे संबंधित सूचनाएं व लोकेशन जामताड़ा पुलिस को भेजी है. जिस पर अनुसंधान या कार्रवाई कर जामताड़ा पुलिस इसकी सूचना संबंधित राज्यों को भेजती है.
इन शातिरों की करतूतों की वजह से ही रिजर्व बैंक समेत सभी बैंक या इंश्योरेंस कंपनियां लोगों को कई प्रकार से जागरूक कर रहीं हैं. इनका संदेश साफ है कि कोई भी बैंक अधिकारी या कर्मचारी कभी की भी निजी जानकारी नहीं पूछता है. किसी परिस्थिति में किसी से भी पासवर्ड या पिन नंबर शेयर न किया जाए. अभी हाल में ही एटीएम से पैसे निकालने में ओटीपी अनिवार्य कर दिया गया है. हालांकि सरकारी तंत्र को अभी और कारगर बनाने तथा वित्तीय संस्थाओं के डेटा को सुरक्षित करने की जरूरत है. लेकिन इतना तो तय है कि केवल सरकारी प्रयासों से ऐसे वारदातों पर अंकुश नहीं लगाया जा सकता, हरेक व्यक्ति को सतर्क रहना होगा अन्यथा एक फर्जी फोन कॉल से उनकी गाढ़ी कमाई यूं ही लुटती रहेगी.
कैसे करते है फ्रॉड गाँव डॉट कॉम ने एक पड़ताल इंटरनेट पे की
आप या आप के किसी दोस्त के फ़ोन पे पेमेंट में कोई गड़बड़ी हो गयी आप ने सर्च किया गूगल पे
phone pe customer care number आप जो सर्च रिजल्ट दिखाई देंगे वो इस प्रकार है
इन्टरनेट की भाषा में जिस वेबसाइट की पेज रैंक अच्छी होती है उस वेबसाइट हो गूगल टॉप में शो करता है
ऑनलाइन फ्रॉड करने वाला इसी बात का फायदा उठा के अपना मोबाइल नंबर phonepe, paytm कस्टमर केयर नाम से नंबर पोस्ट कर देते है आप उस नंबर को कस्टमर केयर का नंबर समझ के कॉल करते है और आप आसानी फ्रॉड करने वाले के शिकार बन जाते है
ऑनलाइन की भाषा टेक्निकल एक्सपर्ट इसे साइबर फिशिंग बोलते है। आप को ऊपर दिए गए स्क्रीन शॉट में ऐसे फिशिंग मोबाइल नंबर दिख रहे होंगे।