कोरोना महामारी के इस दौर भारत की जनता को सबसे ज्यादा कमी अगर है तो हॉस्पिटल और दवाई की आइये जानते अब तक मोदी और मनमोहन सरकार एम्स जैसे कितने विश्वस्तरीय हॉस्पिटल का निर्माण किया।
मनमोहन सिंह के कार्यकाल
मनमोहन सिंह के कार्यकाल में 2011 में एक साथ देश में 6 एम्स बने थे। देश में दिल्ली के अलावा छह अन्य स्थानों रायपुर, पटना, जोधपुर, भोपाल, ऋषिकेश और भुवनेश्वर में एम्स अस्पतालों को चालू किया गया, लेकिन उसके बाद मोदी सरकार ने जितने भी एम्स बनाने की घोषणा की है उसमें से एक एम्स भी पूरा नही हुआ है।
मोदी सरकार
मोदी सरकार ने 2014 में चार नए एम्स, 2015 में 7 नए एम्स और 2017 में दो एम्स का ऐलान किया लेकिन 2018 में अपनी चौथी सालगिरह से ऐन पहले, मोदी कैबिनेट ने देश में 20 नये एम्स यानी आखिल भारतीय चिकित्सा संस्थान बनाने का ऐलान किया पर यह सारे एम्स जुमले साबित हुए।
मोदी सरकार की चौथी सालगिरह से पहले पिछले महीेने केंद्रीय कैबिनेट ने देश में 20 नए एम्स अस्पताल बनाने ऐलान किया. ऐसे में यह जानना जरूरी है कि पिछले चार..2014 -2018 साल में जिन 13 एम्स को बनाने की घोषणा की गई, उनकी क्या हालत है? आजतक ने इन सभी एम्स की प्रगति का जायजा लिया तो पता चला कि अभी एक भी एम्स शुरू नहीं हो पाया है. सत्ता में चार साल पूरे होने पर बीजेपी ने कांग्रेस राज पर तंज कसते हुए कहा था कि 2014 तक देश में सिर्फ 7 एम्स बन पाए थे, लेकिन इस सरकार ने 48 महीने में 13 एम्स को मंजूरी दी है. बीजेपी के आधिकारिक ट्विटर हैंडल से 4 मार्च को ट्वीट किया गया था, ‘परिवार राज से स्वराज: 2014 तक 7 एम्स स्थापित किए गए, लेकिन मोदी सरकार के 48 महीने के भीतर 13 एम्स या एम्स जैसी संस्थाओं को मंजूरी दी गई.’ 13 नए ‘एम्स’ के निर्माण की स्थिति का पता लगाने के लिए आजतक ने स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय से आरटीआई के तहत जानकारी मांगी. इसके आधार पर हम आपको हर एम्स पर हुई प्रगति की जानकारी दे रहे हैं-
- एम्स, यूपी उत्तर प्रदेश के गोरखपुर में सरकार ने एम्स बनाने की घोषणा की है जो मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का गृह क्षेत्र है. इसके लिए गोरखपुर के महादेव झारखंडी में जगह तय हो चुकी है. इस प्रोजेक्ट के लिए 1,011 करोड़ रुपये की लागत मंजूर की गई है, लेकिन अभी तक 10 फीसदी से भी कम फंड जारी हुआ है. इसे मार्च 2020 तक पूरा करने का लक्ष्य है, लेकिन अभी काम 10 फीसदी भी नहीं हुआ है. ऐसे में लगता नहीं कि यह प्रोजेक्ट समय से पूरा हो पाएगा.
- एम्स, आंध्र प्रदेश आंध्र प्रदेश के गुंटूर जिले के मंगलागिरी में बनने वाले एम्स प्रोजेक्ट के लिए 1,618 करोड़ रुपये की लागत मंजूर की गई है. अभी तक सिर्फ 233.88 करोड़ रुपये जारी किए गए हैं. इसे अक्टूबर, 2020 तक पूरा करने का लक्ष्य है, लेकिन इसे टारगेट समय तक पूरा कर पाना असंभव ही लग रहा है.
- एम्स, पश्चिम बंगाल पश्चिम बंगाल के कल्याणी में एम्स बनाने की घोषणा की गई है. इसके लिए 1,754 करोड़ रुपये की लागत मंजूर की गई है. अभी तक सिर्फ 278.42 करोड़ रुपये ही जारी हुए हैं. इसे भी अक्टूबर 2020 तक पूरा करने का लक्ष्य है, लेकिन इस टारगेट को हासिल करने के लिए गति बहुत तेज करनी होगी.
- एम्स, महाराष्ट्र महाराष्ट्र के नागपुर में एम्स बनाने के लिए 1,577 करोड़ रुपये की लागत मंजूर की गई है, लेकिन अभी तक सिर्फ 231.29 करोड़ रुपये जारी किए गए हैं. यह मोदी सरकार के कद्दावर मंत्री नितिन गडकरी का इलाका है. इस प्रोजेक्ट को अक्टूबर 2020 तक पूरा करने का लक्ष्य है.
- एम्स, असम असम के कामरूप जिले में एम्स बनाने की घोषणा की गई है. इस प्रोजेक्ट के लिए 1,123 करोड़ रुपये के लागत को मंजूरी दी गई है, लेकिन अभी तक सिर्फ 5 करोड़ रुपये जारी किए गए हैं. इसे पूरा करने का डेडलाइन अप्रैल 2021 है.
- एम्स, पंजाब पंजाब के बठिंडा में नया एम्स बनाने की घोषणा की गई है. इस प्रोजेक्ट के लिए 925 करोड़ रुपये की लागत तय की गई है. अभी तक सिर्फ 36.57 करोड़ रुपये मंजूर किए गए हैं. इसे जून 2020 तक पूरा करने का लक्ष्य है.
7 -8 . एम्स, जम्मू-कश्मीर राज्य में दो एम्स बनाने की घोषण की गई है. जम्मू क्षेत्र के सम्बा जिले के विजयपुर में और कश्मीर घाटी के पुलवामा जिले के अवंतीपुरा में. इनके लिए कोई बजट तय नहीं हो पाया है, लेकिन दोनों के लिए कुल 90.84 करोड़ रुपये का फंड जारी कर दिया गया है. कोई डेडलाइन भी तय नहीं किया गया है.
9 . एम्स, हिमाचल प्रदेश हिमाचल प्रदेश के बिलासपुर में एम्स के निर्माण की घोषणा की गई है. इसके लिए कुल 1,350 करोड़ रुपये की लागत मंजूर की गई है. पीएम मोदी ने 3 अक्टूबर, 2017 को इसकी आधारशिला रखी थी. लेकिन अभी तक कोई फंड जारी नहीं किया गया है. दिसंबर 2021 तक पूरा करने का लक्ष्य है - एम्स, बिहार बिहार में एम्स बनाने की घोषणा साल 2015-16 के संघीय बजट में की गई थी. पिछले तीन साल में इसके लिए स्थान का चयन भी नहीं हो पाया है. इसके लिए अभी तक न तो किसी फंड का आवंटन हुआ है और न ही कोई डेडलाइन तय की गई है.
- एम्स, तमिलनाडु
- तमिलनाडु में भी अभी एम्स के लिए स्थान तय नहीं हो पाया है. इसके लिए न तो किसी फंड का आवंटन हुआ है और न ही कोई डेडलाइन तय है.
- एम्स, झारखंड झारखंड के देवघर में एम्स बनाने की घोषणा की गई है. इस प्रोजेक्ट के लिए 1103 करोड़ रुपये की लागत तय की गई है. हालांकि, अभी तक सिर्फ 9 करोड़ रुपये जारी किए गए हैं. इसे 2021 तक पूरा करने का लक्ष्य है.
- एम्स, गुजरात
पीएम मोदी के गृह राज्य गुजरात में अभी तक एम्स के लिए स्थल का चुनाव नहीं हो पाया है. न तो कोई फंड जारी हुआ है और न ही कोई डेडलाइन तय
खास बात यह है कि इनमे से अधिकांश एम्स बनने की तारीख अप्रैल 2021 बताई गई थी लेकिन किसी भी जगह कोई काम पूरा नही हुआ है। कही तो जमीन के पते नही है कही तो बजट का आवंटन ही नही किया गया।
बिहार के दरभंगा में तथा हरियाणा के मनेठी में बनने वाले एम्स की जमीन तक फाइनल नही है, झारखंड के देवघर में बनने वाले एम्स का अभी एक-चौथाई काम ही पूरा हुआ है।
गुवाहाटी में बनने वाले एम्स का अभी तक महज एक तिहाई काम ही पूरा हो पाया है, पश्चिम बंगाल के कल्याणी में बनने वाले एम्स में भी देर हो रही है, आंध्रप्रदेश के मंगलागिरी में बनने वाले एम्स के लिए रेत ही उपलब्ध नहीं है जम्मू के सांबा में बनने वाले एम्स का भी महज सात फीसदी काम पूरा हुआ है।
गुजरात के राजकोट में बनने वाले एम्स की तो सिर्फ घोषणा भर हुई है। मदुरई में बनने वाले एम्स और जम्मू कश्मीर के अवंतीपुर में बनने वाले एम्स अभी कागजो पर ही है बाकी जगहों पर भी यही हाल है।
उत्तर प्रदेश के गोरखपुर में जो एम्स है उसकी घोषणा 2007 में हुई थी, वहाँ भी यह हालत है कि 750 बेड की ओपीडी अब तक ठीक से नही बन पाई है। रायबरेली एम्स की भी बुरी हालत है। सोनिया गांधी के चुनाव क्षेत्र होने की वजह से यहाँ सौतेला बर्ताव किया जाता है। रायबरेली एम्स पूरी तरीके से शुरू होने में करीब 2 वर्ष का समय लगने की बात की जा रही है।
2020 जनवरी में कोरोना काल के ठीक पहले सरकार ने घोषणा कर दी कि 2020 खत्म होते होते में देश को छह नए एम्स सुपरस्पेशलिटी अस्पतालों का तोहफा मिलने जा रहा है लेकिन एक भी हस्पताल ठीक से चालू नहीं हुआ है।
ये सारे एम्स बनेंगे कहां से? आप पूछिए कि मोदी सरकार ने अपने 6 यूनियन बजट में इनको कितने हजार करोड़ अलॉट किये हैं तो आपको हकीकत समझ आ जाएगी।
लेकिन जब वोट मंदिर दिखा कर लिया जा सकता है तो एम्स जैसे अस्पताल आखिर मोदी सरकार क्यो बनाएगी। इसलिए अगर कोविड के इस भयानक दौर में आपको इलाज नही मिल रहा, हजारों लाखों रुपए आपसे निजी हस्पताल वाले लूट रहे हैं तो वास्तव में आप खुद सोचिए कि आपने हस्पतालों के नाम पर वोट दिया भी कहा है?
बहुत से लोग लिखते हैं कि जनता मास्क लगाने में लापरवाही कर रही है इसलिए वो दोषी है लेकिन जनता असलियत में इसलिए दोषी है कि वह सस्ती शिक्षा और सस्ती चिकित्सा सुविधाओं के बारे अपने जनप्रतिनिधियों से सवाल तक नही पूछती।
नोट – इस आर्टिकल में लेखक ने खाजतक वेबसाइट और बोलता हिंदुस्तान वेबसाइट के कंटेंट को रेफेरेंस के रूप में इस्तेमाल किया है