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उत्तराखंड के जंगलों में 900 से अधिक जगहों पर लगी आग

उत्तराखंड में पिछले छह दिन से धधक रहे जंगल, करोड़ों रुपये की वन संपदा हुई खाककई स्थानों पर घरों तक पहुंची आग,अब तक सात जानवर व चार लोगों की मौत हो चुकी है

कहां-कहां लगी हुई है आग?

“बागेश्वर में बहुत जबरदस्त आग लगी है. नैनीताल में आग लगी है, पिथौरागढ़, उत्तरकाशी, चंपावत और उधमसिंहनगर के भी अधिकतर जगहों पर आग लगी हुई है. पूरे प्रदेश के जंगल ही इस वक्त आग की चपेट में हैं. इन इलाकों में हर तरफ धुआं है.

इतनी बड़ी जगह में कैसे लगी आग?


उत्तराखंड के निवासी पीयूष बताते हैं कि आग सूखे पत्तों से लगी होगी और फिर बढ़ती चली गई. वैसे तो हर साल इस वक्त जंगलों में आग लगती है, लेकिन 2016 के बाद से ये सबसे बड़ी आग है. वो बताते हैं,

“ये पतझड़ का सीजन होता है. इस बार बारिश भी नहीं हुई है. वैसे हर बार इस सीजन में बारिश होती है, लेकिन इस बार बारिश नहीं हुई. 2016 में बहुत बड़ी आग लगी थी, लेकिन उसके बाद आग इतनी बड़ी कभी नहीं लगी. हर बार बारिश हो जाती थी और आग कंट्रोल हो जाती थी.”

“कोविड के दौरान जंगलों में साफ-सफाई भी नहीं हो पाई. आमतौर पर जंगल में फायर कट किया जाता है. फायरलाइन आदि का सिस्टम भी नहीं हो पाया. एक से डेढ साल के पत्ते, टहनियां आदि जंगल में जमा हो रखी थीं. इस वजह से इस बार जब आग लगी तो काबू के बाहर निकल गई.”

उत्तराखंड के जंगलों में लगी आग से घबराए वन्य जीव सुरक्षित ठिकानों की तलाश में निकल रहे हैं। कार्बेट पार्क तक आग पहुंच गई है। लिहाजा इस पार्क से सटे उत्तर प्रदेश के अमानगढ़ और नजीबाबाद वन प्रभाग में हाथी और तेंदुओं का मूवमेंट बढ़ने की संभावना बढ़ गई है। वन विभाग ने आसपास के गांवों में भी चौकसी बढ़ा दी है। कार्बेट पार्क प्रशासन ने यूपी के जिलों को अलर्ट किया है।

कालागढ़ के आसपास जानवरों का मूवमेंट अचानक बढ़ रहा है। मुरादाबाद मंडल में ही उत्तराखंड के जंगलों से सटे वन्य क्षेत्र में सामाजिक वानिकी प्रभाग बिजनौर, नजीबाबाद वन प्रभाग नजीबाबाद, सामाजिक वानिकी प्रभाग रामपुर और अमानगढ़ टाइगर रिजर्व हैं। इन क्षेत्रों में पहले भी उत्तराखंड वन्य क्षेत्र से जंगली जानवर यहां आते रहते हैं लेकिन आग लगने के बाद इधर की तरफ यह बढ़ रहे हैं।

पेट भरने को भी छोड़ेंगे जंगल

भारत सरकार में प्रोजेक्ट टाइगर के पूर्व निदेशक डा. आरएन सिंह का कहना है कि जब जंगलों में आग लगती है तो शाकाहारी जानवरों के सामने सबसे बड़ा संकट खड़ा हो जाता है। हिरन घास के लिए जंगल से बाहर निकलेगा। क्योंकि तेंदुए का प्रिय शिकार हिरन ही होता है लिहाजा हिरन के पीछे पीछे तेंदुए भी आ जाएगा। ऐसे में आबादी की तरफ भी तेंदुए बढ़ सकते हैं। हाथी भी जंगलों से निकलकर खेतों की तरफ कूच कर सकते हैं। क्योंकि अब इनके सामने भी चारे की किल्लत खड़ी हो जाएगी। जब तक बरसात नहीं हो जाएगी अब तब तक जंगल में चारे का संकट रहेगा। ऐसे में नदियों के किनारे और खेतों के आसपास इनकी मौजूदगी बढ़ना तय माना जा रहा है।

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