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आरएसएस के मुख्यालय नागपुर में कोरोना से हालात बेकाबू

महाराष्ट्र में तो हालात पहले से ही खराब हैं। गुरुवार को राज्य में 61,695 नए मरीज मिले, जबकि 349 की मौत हो गई।

महाराष्ट्र में कोरोना संक्रमण का म्यूटेशन साबित हो गया है। पिछली बार की तुलना में यहां महामारी की गति काफी तेज है। मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने PM नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर कहा है कि राज्य में 30 अप्रैल तक एक्टिव केस 11.9 लाख हो सकते हैं। इसलिए मेडिकल ऑक्सीजन की जरूरत महीने के आखिर तक 2,000 मीट्रिक टन प्रतिदिन तक पहुंचने का अनुमान है।
नागपुर मेडिकल कॉलेज के सामने आशा ठोकर अपने पति के साथ बैठी हैं। मैं भी (भास्कर रिपोर्टर) उनके पास जाकर बैठ गई। उनसे पूछा कि क्या हुआ है? कहने लगीं…मैं पॉजिटिव हूं, लेकिन मुझे एडमिट नहीं कर रहे हैं। आशा और उनके पति दोनों कोरोना संक्रमित हैं। पति पुलिस में हैं। वे शुगर और ब्लड-प्रेशर के भी मरीज हैं।

दोनों पति-पत्नी बीमार हालत में ही शहर में घूम-घूम कर बेड की तलाश कर रहे हैं। आशा रोते हुए कहती हैं, ‘सुबह से शाम हो गई है, लेकिन किसी भी अस्पताल में जगह नहीं मिल रही है।’ आशा की बात सुनकर धीरे-धीरे मेरे आसपास बैठे दूसरे लोग भी बोलने लगे, ‘हम भी पॉजिटिव हैं..हम भी पॉजिटिव हैं..।’ सभी को लोगों को लगा कि शायद बेड दिलवाने में हम उनकी मदद कर सकते हैं।
नागपुर शहर की ही रहने वाली रेणु का तो रोना ही बंद नहीं हो रहा। वह हमें हाथ जोड़कर बोल रही हैं कि आप लोग मेरे पति को बचा लीजिए। वह बता रही हैं, ‘सरकार ने इन्हें (अस्पताल वालों को) इंजेक्शन भेजे हैं, अपने-अपने लोगों को इंजेक्शन लगा रहे हैं, दवाएं दे रहे हैं। मेरे पति एक हफ्ते से अंदर एडमिट हैं, लेकिन उन्हें एक स्लाइन तक नहीं चढ़ाई गई है, मैं ही जाकर उन्हें खाना देती हूं, वह मर जाएंगे, मेरे पति को बचा लो।’
तीस लाख की आबादी वाले अस्पतालों के शहर नागपुर की सड़कों पर लोग अपनी-अपनी कोरोना पॉजिटिव रिपोर्ट लिए मौत बने घूम रहे हैं। हालात बेकाबू हैं। मेडिकल व्यवस्था पूरी तरह से चरमरा गई है। अस्पतालों में एडमिट होने के लिए और मेडिकल लैब के टेस्ट के लिए सुबह 6 बजे से ही लंबी कतार लग रही है। लेकिन प्रशासन ने बोल दिया है कि तीन दिन तक अब टेस्ट नहीं किए जाएंगे। ऐसा लग रहा है कि यहां जिससे मिलो, वही कोरोना पॉजिटिव है।
म्युनिसिपल कॉर्पोरेशन के साथ मिलकर जमान-ए-इस्लामी संस्था अस्पताल चला रही है। डॉक्टर अनवर सिद्दीकी बताते हैं, ’78 बेड का यह अस्पताल प्रशासन के साथ मिलकर पुलिस हेडक्वार्टर की बिल्डिंग में चलाया जा रहा है। कुछ स्टाफ नागपुर म्युनिसिपल कॉर्पोरेशन के हैं तो कुछ संस्था का है।’ डॉ. अनवर के मुताबिक प्रशासन के पास ऐसी तीन-चार बिल्डिंग और हैं जिसे हम चलाने के लिए तैयार हैं।

हमने अंदर तक इस कोविड आईसीयू में घूमकर देखा कि एक-एक मरीज को कैसे फौरन इलाज दिया जा रहा है। साफ-सफाई की भी मुस्तैद व्यवस्था है। समाज और प्रशासन के सहयोग की यह एक अच्छी पहल और मिसाल है। लेकिन नागपुर के हालात ऐसे हैं कि एक दिन में 7,000 तक नए मरीज आ रहे हैं, सो ऐसे प्रयास बहुत कम पड़ रहे हैं।

सिंधु युवा फोर्स के नौजवान पिछले एक महीने से प्लाज्मा डोनेट कर रहे हैं, ताकि जितना हो सके मरीजों को बचाया जा सके। जितेंद्र लाला बताते हैं कि हर दिन संस्था की ओर से 10-12 लोग प्लाज्मा डोनेट करने आ रहे हैं और आते रहेंगे।
म्युनिसिपल कॉर्पोरेशन के साथ मिलकर जमान-ए-इस्लामी संस्था अस्पताल चला रही है। डॉक्टर अनवर सिद्दीकी बताते हैं, ’78 बेड का यह अस्पताल प्रशासन के साथ मिलकर पुलिस हेडक्वार्टर की बिल्डिंग में चलाया जा रहा है। कुछ स्टाफ नागपुर म्युनिसिपल कॉर्पोरेशन के हैं तो कुछ संस्था का है।’ डॉ. अनवर के मुताबिक प्रशासन के पास ऐसी तीन-चार बिल्डिंग और हैं जिसे हम चलाने के लिए तैयार हैं।

हमने अंदर तक इस कोविड आईसीयू में घूमकर देखा कि एक-एक मरीज को कैसे फौरन इलाज दिया जा रहा है। साफ-सफाई की भी मुस्तैद व्यवस्था है। समाज और प्रशासन के सहयोग की यह एक अच्छी पहल और मिसाल है। लेकिन नागपुर के हालात ऐसे हैं कि एक दिन में 7,000 तक नए मरीज आ रहे हैं, सो ऐसे प्रयास बहुत कम पड़ रहे हैं।

सिंधु युवा फोर्स के नौजवान पिछले एक महीने से प्लाज्मा डोनेट कर रहे हैं, ताकि जितना हो सके मरीजों को बचाया जा सके। जितेंद्र लाला बताते हैं कि हर दिन संस्था की ओर से 10-12 लोग प्लाज्मा डोनेट करने आ रहे हैं और आते रहेंगे।

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