बीजापुर में नक्सलियों के हमले की अब तक की रिपोर्ट
आरंभिक तौर पर जो जानकारी मिल रही है, उसके अनुसार एक दिन पहले से ही माओवादियों ने आसपास के जंगल में अपनी पोज़ीशन बना ली थी और पूरे गांव को खाली करवा दिया गया था. इसके बाद ऑपरेशन से लौट रही आखिरी टीम को निशाना बनाया.
अब तक जो जानकारी सामने आ पाई है, उसके अनुसार सुरक्षाबलों की टुकड़ी टेकलागुड़ा गांव से करीब सौ मीटर दूर थी, उसी समय माओवादियों ने हमला बोला. दोपहर 12 बजे के आसपास शुरु हुई मुठभेड़ करीब दो घंटे बाद थम गई.
माओवादियों ने हमला बोला तो पास की सड़क और जंगल के इलाके से बचते हुए जवानों ने पेड़ और गांव के घरों की आड़ ली लेकिन वहां भी पहले से मौजूद माओवादियों ने उन पर हमला किया. गांव के भीतर 3.30 बजे के आसपास हमला हुआ.
जवान फिर वहां से निकलने की कोशिश करते हुए खुले मैदान और जंगल की ओर पहुंचे तो पास की पहाड़ी पर मोर्चा संभाल कर बैठे माओवादियों ने वहां से भी हमला किया. माओवादियों ने एलएमजी, यूबीजीएल, बीजीएल, राकेट लांचर, मोर्टार जैसे हथियारों का अंधाधुंध उपयोग किया.
“यू-टाइप” हमले में फंसाया फोर्स को
सुरक्षाबलों के पास इनपुट था कि इलाके में नक्सलियों का टॉप कमांडर है इसलिए यह ऑपरेशन चलाया गया। लेकिन नक्सली पहले से तैयारी मेें थे और उन्होंने इसके लिए ‘U-शेप’ जाल बिछाया हुआ थाा। दरअसल, सिलगेर के जंगल में जोनागुड़ा के पास सीआरपीएफ की कोबरा, बस्तरिया बटालियन, डीआरजी और एसटीएफ के करीब 2000 जवान पिछले दो दिनों से अलग-अलग ऑपरेशन पर निकले हुए थे। शनिवार सुबह जब फोर्स को सूचना मिली कि जोनागुड़ा के पास नक्सलियों का जमावड़ा है तो वे सतर्क हो गए। इसके अलावा पहले भी यहां सैटेलाइट तस्वीरों में कुछ हलचल दिखाई दे रही थी। ऐसे में ये सूचना फोर्स के पास आई तो जोनागुड़ा की बढ़ने का प्लान किया गया। इसके बाद सभी तरह की फोर्स, जो उस समय आसपास के जंगलों में सर्चिंग कर रही थी, उसे मैसेज दिन जाने लगे कि वो जोनागुड़ा की ओर बढ़ें।
गुरिल्ला वार जोन घात लगाकर बैठे थे नक्सली
विशेषज्ञौं का कहना है कि जोनागुड़ा का एक इलाका गुरिल्ला वॉर जोन के अंतर्गत आता है। इसमें गुरिल्ला वॉर अर्थात छिपकर हमले की रणनीति ही कारगर होती है। यहां कभी भी एक साथ फोर्स नहीं जाती, छोटी-छोटी टुकड़ियों में जाती है। लेकिन चूंकि सभी फोर्स को इनपुट मिल रहे थे कि नक्सली यहां है, ऐसे में एक के बाद एक फोर्स की टुकड़ियां यहां पहुंचती रहीं। वहीं पहले से U शेप में घात लगाकर बैठे नक्सली इसी इंतजार में थे। फोर्स जैसे ही इस जोन में बड़ी संख्या में घुसी, वह एंबुश में फंस गई। नक्सलियों ने अंधाधुंध फायरिंग शुरू कर दी। ये मुठभेड़ करीब 5 घंटे चली। नक्सली ऊपरी इलाकों में थे और फोर्स के एंट्रेंस पर नजर रखे हुए थे, लिहाजा उन्होंने फौज का बड़ा नुकसान पहुंचाया।
- नक्सलियों द्वारा हमले घायल एक CRPF अधिकारी ने Ndtv के पत्रकारों को बताया की मुठभेड़ की जानकारी नक्सलियों को पहले से थी
छत्तीसगढ़ में बोले अमित शाह- नक्सलियों के खात्मे के लिए तेज होगा सुरक्षाबलों का ऑपरेशन
नक्सिलयों को भी बड़ा नुकसान, ड्रोन से हुआ खुलासा, ट्रकों में लाद कर ले गए लाशें
नक्सलियों से हुई मुठभेड़ के बाद लापता सुरक्षा बल के जवान नक्सलियों के कब्जे में है। नक्सलियों ने माडियाकर्मियों को फोन कर यह दावा किया है। उन्होंने फोन पर कहा है कि वो जवान को कोई नुकसान नहीं पहुंचाएंगे। हालांकि, उनकी रिहाई के लिए शर्त रखी है।
जम्मू-कश्मीर के हैं लापता जवान राजेश्वर
राजेश्वर चार साल से कोबरा कमांडो में ड्यूटी दे रहे हैं। उनके पिता भी सीआरपीएफ में रहते हुए जान गंवा चुके हैं।
लापता जवान का नाम राजेश्वर सिंह मनहास है। वो जम्मू-कश्मीर के निवासी हैं और कोबरा बटालियन का हिस्सा हैं। नक्सलियों ने पत्रकारों को फोन करके शर्त रखी कि वो राजेश्वर सिंह को छोड़ने को तैयार है, लेकिन उन्हें वादा करना होगा कि वो सुरक्षा बल में कार्यरत नहीं रहेंगे और यह नौकरी छोड़कर कोई दूसरा काम करेंगे।- राजेश्वर चार साल से कोबरा कमांडो में ड्यूटी दे रहे हैं। उनके पिता भी सीआरपीएफ में रहते हुए जान गंवा चुके हैं।