माधुरी गुप्ता केस: कैसे एक भारतीय अधिकारी बनी पाकिस्तान की जासूस? पढ़िए पूरा मामला
Madhuri Gupta ISI Case vs Jyoti Malhotra Case: भारतीय विदेश सेवा अधिकारी माधुरी गुप्ता ने इस्लामाबाद पोस्टिंग के दौरान आईएसआई एजेंट के हनीट्रैप में फंसकर देश की गोपनीय जानकारी लीक की। 2010 में गिरफ्तार हुईं और 2018 में तीन साल की सजा पाई।

Madhuri Gupta ISI Case vs Jyoti Malhotra Case: माधुरी गुप्ता, एक भारतीय विदेश सेवा (आईएफएस) की ग्रुप बी अधिकारी, ने 2007 से 2010 तक इस्लामाबाद में भारतीय उच्चायोग में दूसरी सचिव (प्रेस और सूचना) के रूप में सेवा दी। 2010 में, उन्हें पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी, इंटर-सर्विसेज इंटेलिजेंस (आईएसआई) के लिए जासूसी करने के आरोप में गिरफ्तार किया गया। यह मामला हाल ही में यूट्यूबर ज्योति मल्होत्रा की गिरफ्तारी के बाद फिर से सुर्खियों में आया, जिन पर भी पाकिस्तान के लिए संवेदनशील जानकारी लीक करने का आरोप है। माधुरी की कहानी न केवल व्यक्तिगत कमजोरियों को उजागर करती है, बल्कि भारतीय खुफिया तंत्र और कूटनीतिक प्रणाली में मौजूद खामियों को भी सामने लाती है।
पृष्ठभूमि और करियर
माधुरी गुप्ता का जन्म 1957 में दिल्ली के विकासपुरी इलाके में हुआ था। उन्होंने जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) से शिक्षा प्राप्त की, जहां उन्होंने उर्दू साहित्य और सूफिज्म में गहरी रुचि दिखाई। उन्होंने जलालुद्दीन रूमी पर पीएचडी शुरू की थी, लेकिन इसे पूरा नहीं किया। 1980 के दशक में, उन्होंने यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा पास की और भारतीय विदेश सेवा में शामिल हुईं। अपने 27 साल के करियर में, उन्होंने इराक, लाइबेरिया, मलेशिया और क्रोएशिया जैसे देशों में सेवा दी। 1980 के दशक में, उन्होंने मॉस्को में पोस्टिंग के लिए आवेदन किया था, लेकिन सोवियत सूचना केंद्र के साथ उनके पूर्व कार्य के कारण इसे अस्वीकार कर दिया गया।
2007 में, उन्हें इस्लामाबाद में भारतीय उच्चायोग में नियुक्त किया गया, जहां उनकी जिम्मेदारी पाकिस्तानी उर्दू अखबारों की निगरानी और दैनिक समाचार सारांश तैयार करना था। यह नियुक्ति 26/11 मुंबई हमलों के बाद भारत-पाकिस्तान के तनावपूर्ण संबंधों के दौर में हुई थी, जिसने उनकी भूमिका को और अधिक संवेदनशील बना दिया।
हनीट्रैप:
2009 में, इस्लामाबाद में एक सामाजिक आयोजन में माधुरी की मुलाकात जमशेद (उर्फ जिम) से हुई, जो लगभग 30 वर्ष का था और बाद में आईएसआई का प्रशिक्षित एजेंट पाया गया। माधुरी, जो उस समय 52 वर्ष की थीं, जल्द ही जमशेद के साथ भावनात्मक रूप से जुड़ गईं। यह रिश्ता एक हनीट्रैप था, जिसमें जमशेद ने उनकी भावनाओं का फायदा उठाया। माधुरी उस समय भारत सरकार से नाराज थीं, क्योंकि उनकी छुट्टियां रद्द कर दी गई थीं और उनका वेतन रोका गया था। जमशेद ने इस असंतोष का उपयोग करके उन्हें भारत के खिलाफ भड़काया।
माधुरी का जमशेद के प्रति प्रेम इतना गहरा हो गया कि वह इस्लाम अपनाने और तुर्की (इस्तांबुल) में बसने की योजना बनाने लगीं। इस रिश्ते ने उन्हें ऐसी स्थिति में ला खड़ा किया, जहां उन्होंने देश की सुरक्षा से समझौता करना शुरू कर दिया।
जासूसी गतिविधियां
माधुरी ने जमशेद और उनके सहयोगी, मुबशर रजा राणा, के कहने पर संवेदनशील जानकारी लीक करना शुरू किया। उन्होंने [email protected] से 73 ईमेल भेजे, जिनमें 54 भेजे गए और 19 प्राप्त किए गए। इनमें भारतीय उच्चायोग के कर्मचारियों का विवरण, आरएएनडब्ल्यू अधिकारियों की पहचान, आंतरिक मूल्यांकन, और कुछ “गुप्त मार्ग” शामिल थे। यह जानकारी पाकिस्तान के लिए रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण थी और भारत की राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा पैदा कर सकती थी।
उनकी जासूसी गतिविधियां पारंपरिक थीं, जिसमें “डेड ड्रॉप्स” का उपयोग शामिल था, जहां वह अपने हैंडलर से बिना मिले जानकारी पास करती थीं। हालांकि, उनकी सबसे बड़ी गलती थी अपने कार्यालय के कंप्यूटर से ईमेल भेजना, जिसने उनकी गतिविधियों को उजागर कर दिया।
खोज और गिरफ्तारी
2009 के अक्टूबर में, इस्लामाबाद में एक संयुक्त सचिव और आईबी अधिकारी ने माधुरी की संदिग्ध गतिविधियों पर ध्यान दिया। अगले छह महीनों तक, उनकी हर गतिविधि पर नजर रखी गई। खुफिया एजेंसियों ने एक जाल बिछाया, जिसमें उन्हें झूठी जानकारी दी गई और देखा गया कि वह इसे कहां लीक करती हैं। इस ऑपरेशन को इतना गुप्त रखा गया कि विदेश मंत्रालय को भी इसकी जानकारी नहीं थी।
22 अप्रैल, 2010 को, SAARC शिखर सम्मेलन की तैयारियों के बहाने माधुरी को दिल्ली बुलाया गया। इंदिरा गांधी अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे पर उतरते ही उन्हें इंटेलिजेंस ब्यूरो ने हिरासत में लिया और 24 घंटे बाद दिल्ली पुलिस को सौंप दिया गया। उनकी गिरफ्तारी ने भारतीय खुफिया समुदाय में हलचल मचा दी, क्योंकि यह 26/11 हमलों के बाद सुरक्षा में एक और बड़ी चूक थी।
मुकदमा और दोषसिद्धि
माधुरी पर आधिकारिक रहस्य अधिनियम, 1923 के तहत आरोप लगाए गए, जिसमें अधिकतम 14 साल की सजा का प्रावधान था। उनका मुकदमा 2012 में शुरू हुआ, और 18 मई, 2018 को दिल्ली की एक अदालत ने उन्हें दोषी ठहराया। 19 मई, 2018 को, अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश सिद्धार्थ शर्मा ने उन्हें तीन साल की साधारण कारावास की सजा सुनाई। अदालत ने उनकी हल्की सजा की याचिका को खारिज करते हुए कहा, “उनके पद और अनुभव को देखते हुए, उनसे जिम्मेदार व्यवहार की अपेक्षा थी, लेकिन उनके कार्यों ने देश की छवि को धूमिल किया और राष्ट्रीय सुरक्षा को गंभीर खतरा पैदा किया।”
माधुरी ने जांच में सहयोग किया और अपने ईमेल का विवरण स्वेच्छा से साझा किया। उन्हें 2012 में जमानत मिल गई, और वह अपनी सजा के खिलाफ दिल्ली हाईकोर्ट में अपील करने की तैयारी कर रही थीं। हालांकि, 2021 में, कोविड-19 की दूसरी लहर के दौरान, राजस्थान के भिवाड़ी में अकेले रह रही माधुरी की मृत्यु हो गई, और उनकी अपील लंबित रह गई।
प्रभाव और विवाद
माधुरी गुप्ता की गिरफ्तारी ने भारतीय खुफिया एजेंसियों, विशेष रूप से आईबी और आरएएनडब्ल्यू, के बीच तनाव को उजागर किया। उनकी गतिविधियों ने आरएएनडब्ल्यू के स्टेशन चीफ आरके शर्मा की पहचान उजागर कर दी, जिससे भारतीय खुफिया संचालन को नुकसान पहुंचा। इस मामले ने नौकरशाही निगरानी की कमजोरियों को भी सामने लाया और मीडिया में तीखी बहस छेड़ दी। कुछ ने उन्हें एक रोमांटिक मूर्ख के रूप में चित्रित किया, जबकि अन्य ने उन्हें एक अवसरवादी या खुफिया एजेंसियों के बीच टकराव का शिकार माना।
माधुरी के बचाव में उनके वकील ने तर्क दिया कि वह कार्यालय की राजनीति का शिकार थीं और उनके द्वारा लीक की गई जानकारी तुच्छ थी। हालांकि, अभियोजन पक्ष ने इसे एक क्लासिक आईएसआई हनीट्रैप करार दिया, जिसमें माधुरी ने व्यक्तिगत संतुष्टि के लिए स्वेच्छा से समझौता किया।
ज्योति मल्होत्रा के साथ तुलना
हाल ही में, 17 मई, 2025 को, यूट्यूबर ज्योति मल्होत्रा, जो “Travel with Jo” चैनल चलाती हैं, को पाकिस्तान के लिए संवेदनशील जानकारी लीक करने के आरोप में गिरफ्तार किया गया। राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए), आईबी, और मिलिट्री इंटेलिजेंस (एमआई) उनकी पूछताछ कर रहे हैं। ज्योति का संपर्क पाकिस्तान उच्चायोग के अहसान-उर-रहीम (उर्फ दानिश) से था, जिसे बाद में भारत से निष्कासित कर दिया गया।
पहलू | माधुरी गुप्ता | ज्योति मल्होत्रा |
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गिरफ्तारी की तारीख | अप्रैल 2010 | 17 मई, 2025 |
उम्र | 55 वर्ष | अज्ञात |
पद | भारतीय उच्चायोग, इस्लामाबाद में दूसरी सचिव (प्रेस और सूचना) | यूट्यूबर |
गतिविधि का स्थान | इस्लामाबाद, पाकिस्तान | भारत में पाकिस्तान उच्चायोग के साथ संपर्क |
खुफिया एजेंसी | आईएसआई (जमशेद और मुबशर रजा राणा) | आईएसआई (अहसान-उर-रहीम उर्फ दानिश) |
लीक की प्रकृति | 73 ईमेल, कर्मचारी विवरण, आरएएनडब्ल्यू पहचान, गुप्त मार्ग | भारत के संवेदनशील क्षेत्रों की जानकारी |
कानूनी आरोप | आधिकारिक रहस्य अधिनियम, 1923 के तहत; 3 साल की सजा | अज्ञात |
न्यायिक परिणाम | 2018 में दोषी, 3 साल की सजा, 2021 में मृत्यु | जांच चल रही है |
दोनों मामले हनीट्रैप और आईएसआई से जुड़े हैं, लेकिन माधुरी का मामला एक कूटनीतिज्ञ की स्थिति के कारण अधिक गंभीर था। ज्योति का मामला अभी प्रारंभिक चरण में है, और इसके परिणाम अभी स्पष्ट नहीं हैं।
निष्कर्ष
माधुरी गुप्ता का मामला एक जटिल कहानी है, जो व्यक्तिगत कमजोरियों, खुफिया एजेंसियों के बीच टकराव, और राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए चुनौतियों को दर्शाती है। उनकी कहानी, जिसे कुछ ने “बॉलीवुड पॉटबॉइलर” करार दिया, एक चेतावनी है कि भावनात्मक हेरफेर और नौकरशाही कमियां देश की सुरक्षा को खतरे में डाल सकती हैं। ज्योति मल्होत्रा का मामला इस खतरे को और अधिक प्रासंगिक बनाता है। भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए, भारत को अपनी खुफिया और कूटनीतिक प्रणालियों को मजबूत करना होगा, साथ ही व्यक्तिगत और पेशेवर सतर्कता को बढ़ावा देना होगा।