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Cow Farming: जानें कैसे आप को दिल और दिमाग से अमीर बना सकती है ये भारतीय गाय

Gir Cow | Gir Dairy Farming In India :गीर, भारतीय मूल की गाय है। यह दक्षिण काठियावाड़ में पायी जाती है। गिर प्रजाति की उत्पत्ति गुजरात के काठियावाड़, गिर जंगलों से होती है, और इसे काठियावाड़ी, सुरती, अजमेरा, और रेंडा के नाम से भी जाना जाता है। गिर नस्ल को मुख्यतः उसकी गहरी लाल, भूरी, और काली धब्बों से पहचाना जाता है। गिर पशुओं का दूध उत्पादन उनकी उच्च क्षमता के लिए प्रसिद्ध है, जो साल में लगभग 2100 लीटर होता है। ये पशु विभिन्न जलवायु के लिए अनुकूलित होते हैं और गर्म स्थानों पर भी आसानी से रह सकतें हैं।

Cow Farming in India: गिर गाय एक ऐसी नस्ल है जो भारत में प्राचीन काल से ही पाली जा रही है। यह गाय अपनी उच्च दूध उत्पादन क्षमता और मजबूती के लिए किसानों के बीच लोकप्रिय हो गई है। इन गायों की सुशील प्रकृति और गर्मी के मौसमों में अनुकूलता के लिए भी जाना जाता है. इस गाय की मांग देश ही नहीं, विदेशों में भी खूब है. ब्राजील में इस गाय को बहुतायत में पाला जाता है. विदेश में ब्राजील ऐसा देश है जहां भारत की इस गाय का पालन होता है और दूध से अच्छा मुनाफा कमाया जाता है.

गुजरात की गीर गाय अब मुनाफे का सौदा बन गयी है इस गाय की कीमत 90 हजार तीन लाख रुपये तक है। इसका दूध 60 से 200 रुपये प्रतिकिलो तक बिकता है औरगिर गाय बिलोना घी की कीमत 2000 रुपये प्रति किलो बतायी गयी है। गुजरात में पाई जाने वाली गिर नस्ल की गाय अब और उन्नत होकर ब्राजील से भारत आ रही है। अपने देश में प्रतिदिन औसतन 18 लीटर दूध देने वाली गिर गाय की नस्ल को ब्राजील ने उन्नत किया है।

गिर गाय के नाम के पीछे की कहानी
यह मूल रूप से गुजरात के गिर जंगल से आता है. इसे गिर गाय की उत्पत्ति कहा जाता है. इसे दुनिया के अलग-अलग हिस्सों में अलग-अलग नामों से भी जाना जाता है. इसका प्राथमिक फोकस सौराष्ट्र, गुजरात के राजकोट, जूनागढ़, सोमनाथ, भावनगर और अमरेली जिलों में है. इसकी लोकप्रियता राजस्थान, मध्य प्रदेश, हरियाणा और उत्तर प्रदेश के माध्यम से ब्राजील तक फैल गई है. यही कारण है कि इसकी आबादी लगातार बढ़ रही है.

ऐसे करे गिर गाय की पहचान
गिर गायों को दो नस्लों में बांटा गया है. स्वर्ण कपिला और देवमणि दोनों उन्नत नस्लें हैं. गिर गायों का रंग मुख्य रूप से लाल होता है. इसका एक बड़ा माथा और लंबे कान हैं. इसके सींग एक ही समय में लंबे और घुमावदार होते हैं. थन पूरी तरह से विकसित हो चुका है, और एक कूबड़ खोजा गया है.

गिर गाय का दूध इतना महंगा क्यों होता हैं

भारतीय नस्ल की गिर गाय A2 मिल्क देती है। इस मिल्क में A2 कैसिइन प्रोटीन पाया जाता है जिस वजह से इसका नाम A2 मिल्क रखा गया है।आज के टाइम में इंटरनेशनल मिल्क मार्किट में है और पूरी दुनिया में रिसर्च हो रही है \

आखिर क्या है .A1 और A2 मिल्क, और इन दोनों मिल्क में अंतर

किसी भी देश की अगर हम बात करें तो दूध सभी पीते हैं चाहे वो रूस हो, अमेरिका, भारत इत्यादि. दूध बच्चों के न्यूटरीशन का बहुत इम्पोर्टेन्ट हिस्सा माना जाता है. मार्किट में दो प्रकार का दूध मिलता है; A1 दूध और A2 दूध. A1 मिल्क A1 टाइप की गाय देती हैं और A2 मिल्क A2 किस्म की गाय देती हैं. अगर मेजोरिटी की बात करें तो भारत में और दुनिया भर में आजकल A1 दूध को ही पीया जा रहा है. A2 दूध की खपत कम होती है.

A2 दूध मिलता है प्राचीन ब्रीड की गाय से या जो काफी लंबे समय से गाय की ब्रीड चलती आ रही है या फिर देशी गाय से. कुछ हद तक जो ईस्ट अफ्रीकन जगहों में जो गाय मिलती हैं और उनसे जो दूध मिलता है उसको A2 मिल्क कहते है. वहीं A1 दूध मिलता है फॉरेन ब्रीड गाय से या जो मिक्स्ड रेस की गाय होती हैं उनसे.

जैसे की ऊपर देखा हमने की दूध में कैल्शियम और प्रोटीन होता है. प्रोटीन कई प्रकार के होते हैं उसमें से एक प्रकार है केसीन. ये सबसे ज्यादा मिल्क प्रोटीन में होता है. यानी दूध में 80% केसीन प्रोटीन ही पाया जाता है. मगर जो देशी गाय A2 दूध देती हैं उसमें केसीन प्रोटीन के साथ-साथ एक खास प्रकार का अमीनो एसिड भी निकलता है जिसे हम प्रोलीन (prolin) कहते हैं. क्या आप जानते हैं कि दूध में जो प्रोटीन होता है, वह पेप्टाइड्स में तब्दील होता है. बाद में यह अमीनो एसिड्स का स्वरूप लेता है. देखा जाए तो अमीनो एसिड काफी इम्पोर्टेन्ट होता है हमारी सेहत के लिए परन्तु ये अमीनो एसिड जो A2 गाय में मिलता है ये आगे जा कर एक बहुत अहम भूमिका निभाता है।

बाहर के देशों में अधिकतर ये ही A2 गाय ही मिलती हैं, इन्हें हाइब्रिड गाय भी कहते हैं. A1 गाय के दूध में एक अलग प्रकार का अमीनो एसिड होता है जिसे हिस्टीडाईन (histidine) कहते है.

A2 दूध में जो प्रोलीन मिलता है वो हमारो बॉडी में BCM 7 को पहुचने से रोकता है।

BCM 7 एक ओपीओइड पेप्टाइड (opioid peptide) होता है. यह एक छोटा-सा प्रोटीन है, जो हमारी बॉडी में नहीं पचता है. इससे अपच ( indigestion) हो सकता है और कई शोध से भी पता चला है कि और भी कई तरह की परेशानियाँ या बीमारियाँ हो सकती हैं जैसे मधुमेह इत्यादि. यानी हम कह सकते हैं कि A2 दूध में प्रोलीन अमीनो एसिड BCM 7 को हमारे शरीर में जाने से रोकता है. मगर जो A1 गाय हैं वो प्रोलीन नहीं बनाती हैं तो इससे जो BCM 7 है वो हमारे शरीर में जाता है और बाद में ब्लड में भी धीरे-धीरे घुल जाता है।

इसे ऐसे भी समझा जा सकता है कि BCM 7 प्रोटीन A2 दूध देने वाली गायों के यूरीन, ब्लड या आंतों में नहीं पाया जाता है, लेकिन यही प्रोटीन A1 गायों के दूध में पाया जाता है, इस कारण से A1 दूध को पचाने में तकलीफ होती है।

कुछ रिसर्च से ये भी ज्ञात हुआ है कि A2 दूध को पचाना ज्यादा आसान होता है. US National Library of Medicine National Institutes of Health की रिपोर्ट के अनुसार A1 बीटा केसीन वाले दूध में ज्यादा मात्रा में BCM 7 होता है. अगर ये बच्चों को दिया जाए तो उनमें मधुमेह की समस्या बढ़ जाएगी. इस रिसर्च को स्कॅन्डिनेवियन और नीदरलैंड में किया गया था. यहां पर ये पाया गया कि लोगों को मधुमेह की ज्यादा समस्या है. इसके लिए लाइफस्टाइल वगेरा तो कई कारणों मे से है ही साथ ही A1 दूध भी कुछ हद तक ज़िम्मेदार है. हार्ट की बिमारी का होना भी कुछ हद तक इस दूध के साथ जोड़ा गया है।

कुछ रूस के शोधकर्ताओं के अनुसार BCM 7 बच्चों के ब्लड में पास हो जाता है और ये ब्रेन से मांसपेशियों के बीच में होने वाले विकास को भी कुछ हद तक बाधाएं पैदा करता है. इस रिसर्च को इंटरनेशनल जर्नल पेप्टाइडस में पब्लिश किया था।

एक और रिपोर्ट Indian Journal of Endocrinology and Metabolism 2012 के अनुसार मधुमेह टाइप 1 का कुछ A1 दूध से कनेक्शन है और इसके अलावा हार्ट की समस्या, मेंटल डिसऑर्डर, ऑटिज्म, एलर्जी से बचाव न कर पाने जैसी कमियां और schizophrenia का होना भी क्योंकि BCM 7 ब्लड से ब्रेन में चला जाता है। साथ ही कुछ और भी रिसर्च हैं जिनके अनुसार A1 दूध को लेने से कोई नुक्सान नहीं होता है। ये किसी भी प्रकार की शरीर में हानि नहीं पहुंचाता है। इसलिए सही तरह से ये कहना गलत होगा कि A1 दूध नुक्सान दायक है. ऐसा पूर्ण रूप से अभी तक प्रूव नहीं हो सका है।

आपको ज्ञात हो गया होगा कि A1 और A2 दूध में क्या अंतर होता है, किसमें किस प्रकार का प्रोटीन पाया जाता है और सबसे ज्यादा किस दूध का उत्पादन पूरी दुनियां में हो रहा है इत्यादि।

गिर गाय का घी क्या है 

गिर गाय का घी विशेष रूप से गिर गाय के दूध से बनाया जाता है और इसे शुद्ध घी माना जाता है क्योंकि इसमें संरक्षक, रसायन और अन्य हानिकारक तत्व जैसे कोई ऐड-ऑन शामिल नहीं होते हैं। बच्चों से लेकर भावी माताओं तक, गिर गाय का घी उनकी हड्डियों के स्वास्थ्य और समग्र शरीर के विकास को मजबूत करने के लिए एक आदर्श मुख्य भोजन माना जाता है।

गिर गायों का सबसे अनोखा हिस्सा उनका कूबड़ है। इसके कूबड़ में सूर्य केतु नाड़ी है, जो सीधे सूर्य के प्रकाश के संपर्क में आने पर गाय के दूध में सोने के लवण छोड़ती है। यह नमक दूध और उसके अधीनस्थ उत्पादों में प्राकृतिक सुनहरा रंग और पोषण शक्ति लाता है। यह गिर गाय के घी को गाय के घी की अन्य नस्लों की तुलना में अद्वितीय और अधिक पौष्टिक बनाता है। यदि आप गिर गाय के घी के पोषण संबंधी प्रोफाइल पर गौर करेंगे, तो आप तुरंत समझ जाएंगे कि यह वास्तव में एक अद्भुत सुपरफूड है।

गिर गाय के घी के क्या फायदे हैं?

आइए 1 चम्मच माप के लिए गिर गाय के घी के पोषण संबंधी तथ्य देखें:

हम गिर गाय पालन के विभिन्न पहलुओं की जाँच करेंगे, जैसे की लागत और लाभ सूचना, प्रजनन, आहार, और प्रबंधन।

  • वसा: 14 ग्राम
  • प्रोटीन: 0.04 ग्राम
  • ओमेगा 3: 45 मिलीग्राम
  • कोलीन: 2.7 मिलीग्राम
  • विटामिन डी: 15 एमसीजी
  • विटामिन के: 1.2 एमसीजी
  • विटामिन ए: 438 आईयू
  • विटामिन ई: 0.4 मिलीग्राम

लागत और लाभ सूचना

गिर गाय के फार्म की शुरुआत करने से पहले, इस उद्यम की लागत और लाभ के प्रभाव को समझना महत्वपूर्ण है। गिर गाय की खरीद की लागत स्थान और प्रजाति के आधार पर भिन्न हो सकती है। एक शुद्धजात गिर गाय की लागत कहीं भी 50,000 रुपये से 1,00,000 रुपये तक हो सकती है। इसके अलावा, फार्म स्थापित करने, उपकरण खरीदने और श्रमिकों को नियुक्त करने की लागत को भी शामिल किया जाना चाहिए।

गिर गाय पालन का लाभ का संभावनात्मक है। सामान्य रूप से, एक गिर गाय दिन में 10 से 15 लीटर दूध उत्पन्न कर सकती है। 50 रुपये प्रति लीटर के बाजार दर पर, जो एक दिन की आय को 500 से 750 रुपये का अर्थ है। एक वर्ष के दौरान, यह एक महत्वपूर्ण लाभ का एक संचिति बन सकता है। इसके अलावा, गिर गायों को मांस के लिए भी बेचा जा सकता है, जो एक अच्छी कीमत प्राप्त कर सकता है।

प्रजनन

प्रजनन गिर गाय पालन का एक महत्वपूर्ण पहलू है। स्वस्थ गायों को चुनना महत्वपूर्ण है ताकि संतान भी स्वस्थ हो। प्रजनन के लिए एक गाय का चयन करते समय, निम्नलिखित कारकों को ध्यान में रखना चाहिए:

आयु: प्रजनन से पहले एक गाय कम से कम 2 वर्ष की उम्र की होनी चाहिए। स्वास्थ्य: गाय को अच्छे स्वास्थ्य में होना चाहिए और किसी भी बीमारी से मुक्त होनी चाहिए। दूध उत्पादन: प्रजनन के लिए उच्च दूध उत्पादन वाली गाय का चयन किया जाना चाहिए। आनुवंशिकता: संतान में वांछनीय गुण होने के लिए गाय को अच्छी आनुवंशिकता होनी चाहिए।


गिर गाय की असली पहचान क्या है?

असली गिर गाय को उसके विशिष्ट स्वरूप से पहचाना जा सकता है। इसका माथा गोल, गुंबददार और उत्तल है, और कूल्हे की हड्डियाँ उभरी हुई हैं और इसके खुर काले और मध्यम आकार के हैं। गिर गाय के कान लटकते हुए और लंबे होते हैं जो सिरे पर पत्ते की तरह मुड़े होते हैं। इसके सींग मुड़े हुए और पीछे की ओर मुड़े हुए होते हैं।

मादा गिर का औसत वजन 385 किलोग्राम और ऊंचाई 130 सेंटीमीटर होती है जबकि नर गिर का औसतन वजन 545 किलोग्राम तथा और 135 सेंटीमीटर होती है। गिर गाय का औसत दूध उत्पादन 2110 लीटर है। यह गाय प्रतिदिन 12 लीटर से अधिक दूध देती है। इसके दूध में 4.5 फीसदी वसा की मात्रा होती है |

पशुपालक गिर गाय रखने के लिए ध्यान रखें कुछ आवश्यक बातें!

गीर गाय का उचित खाना:-
गीर गाय को उचित पोषण देना अनिवार्य होता है अगर उन्हें सही पोषण नहीं मिल पता है तो वे कम दूध का उत्पादन करते है। जिस प्रकार एक व्यक्ति अथवा मेहमान हमारे घर रहने अत है तो हम कुछ दिनों में उसकी पसंद नापसंद सब जान लेते है ठीक उसी प्रकार पशु आहार भी एक महत्वपूर्ण हिस्सा हैं गीर गाय पालन में। डॉक्टर के मुताबिक़ गीर गौ को उच्च पोषण की आवश्यकता अधिक होती है। गाय के खाने के सामान को रखने के लिए एक स्टोर रूम का भी प्रबंध करना चाइये। ताकि मौसम बदलने पर या मार्किट में उस खाने की कमी होने पर हम तुरंत उपलभ्ध करवा सके। 👉🏻बरसीम की सूखी घास, लूसर्न की सूखी घास, जई की सूखी घास, पराली, मक्की के टिंडे, ज्वार और बाजरे की कड़बी, गन्ने की आग, दूर्वा की सूखी घास, मक्की का आचार, जई का आचार, बरसीम (पहली, दूसरी, तीसरी, और चौथी कटाई), लूसर्न (औसतन), लोबिया (लंबी ओर छोटी किस्म), गुआरा, सेंजी, ज्वार (छोटी, पकने वाली, पकी हुई), मक्की (छोटी और पकने वाली), जई, बाजरा, हाथी घास, नेपियर बाजरा, सुडान घास, मक्की/ गेहूं/ चावलों की कणी, चावलों की पॉलिश, छाणबुरा/ चोकर, सोयाबीन/ मूंगफली की खल, छिल्का रहित बड़ेवे की ख्ल/सरसों की खल, तेल रहित चावलों की पॉलिश, शीरा, धातुओं का मिश्रण, नमक, नाइसीन आदि। गीर गाय को देने वाला खाना कुछ इस प्रकार के होते है:- 👉🏻भूसी, नेवारी, सरसों की खल्ली, मक्का की दर्री, हरी साग सब्ज़ियाँ, पुआल, कुट्टी, गाजर, मूंगफली के छिलके आदि। गीर गाय के लिए जल प्रबंधन :- जिस जगह पर आप गाय को रख रहे हों ध्यान रहे की उस जगह पर जल का प्रबंध अच्छा होना चाहिए। गायों को नहाने के लिए या फिर उनके जगह की साफ़ सफाई के लिए पानी की बहुत खपत होती है। मगर गाय ज्यादा नहाना पसंद नहीं करती इसलिये उन्हें ज्यादा पानी से नहलाने की जरुरत नहीं होती अन्य था वो अच्छा महसूस नहीं करती और इसका असर सीधा दूध पर पड़ता है। गीर गाय में पाए जाने वाले रोग:- 👉🏻जब कभी भी आप गौ पालन के लिए गाय खरीदें तो रोग मुक्त गाय हीं खरीदें। इसके अलावा गाय का डॉक्टर से संपर्क बना के रखे ताकि जब कभी भी आपकी गाय बीमार हो तो फ़ौरन हीं डॉक्टर को बुला कर उनका इलाज करवा सके। गाय के आस पास से मच्छर, मक्खी या फिर कोई भी कीटाणु जिससे गाय हो हानि पहुँच सकती है उसे दूर करने के लिए गाय के पास धुंआ जला कर रख देना चाहिए। वैसे तो गीर गाय की ये विशेषता है की वह अपनी पूँछ से किसी भी मक्खी या मछर को अपने ऊपर बैठने नहीं देती। जिस जगह पर कोई भी पशु मरा हो उस जगह को फिनाइल या फिर चुने का घोल से साफ़ करना चाहिए। दस्त का इलाज:- 👉🏻मुंह द्वारा या टीके से सलफा दवाइयां दें और साथ ही 5 प्रतिशत गुलूकोज़ और नमक का पानी ज्यादा दें। दूध निकालने का सही समय:- 👉🏻एक दिन में दो या तीन बार दूध देती है। इसलिए आपको चाहिए की आप नित्य हीं उनका दूध निकाले। दूध निकालने का सही समय होता है :- 👉🏻सुबह में 5 बजे से 7 बजे: सुबह में 5 बजे से 7 बजे के बिच का समय गाय का दूध दुहना सही रहता है। इस समय में गाय अच्छी मात्रा में दूध देती है। 👉🏻शाम 4 बजे से 6 बजे: सुबह के बाद शाम के समय में गाय का दूध निकलने से ज्यादा दूध की प्राप्ति होती है। इस तरह से आप एक दिन में 2 बार कर के ज्यादा से ज्यादा मात्रा में दूध की प्राप्ति कर सकते है। गीर गाय का दूध कैसे निकालें:- 👉🏻गाय को हर वक्त बांध कर नहीं रखना चाहिए उन्हें समय समय पर खुली हवा में घास चरने के लिए छोड़ देना चाहिए इससे गाय स्वस्थ रहती है और दूध भी ज्यादा देती है। गाय के दूध को दुहने का भी एक तरीका होता है। चलिए हम जानते है कैसे गाय का दूध निकला जाता है :- 👉🏻जब कभी भी गाय का दूध दुहना हो तो उन्हें शेड में ले आयें जहां उनके खाने का इन्तेजाम किया हुआ हो। 👉🏻परन्तु गाय का दूध निकल रहा हो तो तब ध्यान दे के उस समय किसी भी प्रकार की अनवांछित ध्वनि उन्हें सुनाई न दे क्योंकि गाय डर जाती है और दूध रुक जाता है 👉🏻जब तक आप एक गाय को दुह रहें हो तब तक के लिए बांकी की गायों को घास चरने के लिए छोड़ दें। गिर गाय के बारे मे कुछ अन्य रोचक बाते:- 👉🏻गीर नस्ल की गाय का मुख्य स्थान गुजरात प्रांत के दक्षिणी काठियावाड़ के गीर जंगल है। यह गुजरात के जिला जूनागढ़, भावनगर, अमरेली और राजकोट के क्षेत्र में पाई जाती है। 👉🏻यह दुधारू प्रजातियों की दूसरी श्रेणी में गिनी जाती है। 👉🏻सूखे की स्थिति में और कुदरती आपदाओं के समय भी इसके अंदर दूध देते रहने की अद्भुत शक्ति होती है। 👉🏻गीर गाय ब्राजील मेक्सिको अमेरिका वैनेजुएला आदि अनेक देशों में अधिक संख्या में ले जाई गई है। 👉🏻गीर गाय का रंग सफेद और लाल रंग का मिश्रण होता है। पूरी तरह लाल रंग की गाय को भी गीर गाय ही माना जाता है। 👉🏻गीर गाय को यदि अनुकूल परिस्थितियों के अंदर रखा जाये तो यह 25-30 किलो दूध एक में दिन में देने की क्षमता रखती है। 👉🏻ब्राजील ने 1850 में गिर गाय, अंगोल गाय और कांकरेज गाय को भारत से लेकर जाना शुरु किया था। इस समय लगभग 50-60 लाख गिर गाय सिर्फ ब्राजील में ही पाई जाती है। 👉🏻शुद्ध गिर नस्ल की पूरे गुजरात में सिर्फ 3000 गाय ही बाकी रह गई है। 👉🏻1960 के बाद गुजरात सरकार ने गीर गाय के निर्यात पर पाबंदी लगा दी थी। गुजरात में गीर ने एक बयात में 8200 किलोग्राम दूध दिया है। गुजरात के फार्म हाउस में गीर गाय का एक दिन में 36 किलो दूध देने का रिकॉर्ड दर्ज है जबकि ब्राजील में गिर गाय से 50 किलो दूध एक दिन में लिया जा रहा है

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