लोग एक बार फिर कोरोना से दशहत में है। सब अपने-अपने स्तर पर इस वायरस से बचने का उपाय कर रहे हैं, इन सब के बीच कुछ लोग ऐसे भी होते हैं, जो इस भयानक बीमारी के बीच फेक न्यूज फैलाकर लोगों के स्वास्थ्य को और खतरे में डालने का काम कर रहे हैं। ऐसा ही एक पोस्ट इन दिनों इंटरनेट पर जमकर वायरल हो रहा है, जिसको बिना सोच समझे लोग भी धड़ाधड़ शेयर और उस पर अमल करने का काम भी कर रहे हैं। वायरल पोस्ट में बताया गया कि कैसे घरेलू नुस्खे के जरिए खून में ऑक्सीजन का लेवल बढ़ाया जा सकता है।
जानिए क्या है पूरा सच सोशल मीडिया पर किया जा रहा ये दावा पूरी तरह से फर्जी और झूठा है। इस दावे के पीछे साइंस का कहना है कि इन चीजों का कोरोना वायरस से कोई लेना-देना नहीं है। और अगर गौर करें तो कोरोना में फेफड़ों और श्वसन तंत्र को नुकसान की वजह से खून में ऑक्सीजन का स्तर घटने लगता है। इस तरह के किसी भी दावे को खारिज कर दिया है। साथ में यह भी ध्यान में रखना चाहिए कि कपूर को तोड़ना खतरनाक है और कुछ केसों में जान को खतरा भी हो सकता है। इसके साथ ही यह सलाह दी जाती है कि किसी को COVID-19 का इलाज करने के लिए घरेलू उपचारों पर निर्भर नहीं होना चाहिए और इसके बजाय उसी के लिए चिकित्सा सहायता लेनी चाहिए।
एक डॉक्टर ने किसी कोरोना मरीज से जुड़ा एक किस्सा बयान किया है, जो हॉस्पिटल बेड पर होते हुए भी घरेलू नुस्खे खुद पर अप्लाई कर रहा था.
2 लीटर NRBM (वो मास्कनुमा डिवाइस, जो मरीज को ऑक्सीजन देते वक्त मुंह पर पहनाई जाती है) पर उनका (मरीज का) ऑक्सीजन लेवल 95 के करीब था. इसीलिए जब सिस्टर भागते हुए मेरे पास आईं और कहा कि उनको जबर्दस्त खांसी आ रही है तो मैं चौंक गया. मैं वार्ड के दूसरे छोर पर था और एक बुज़ुर्ग को समझा रहा था कि अपना ऑक्सीजन मास्क अच्छे से पहनकर रखें.
मैं भागकर गया और उन मरीज का ऑक्सीजन लेवल देखा, जो 65 फीसदी पर था. उन्होंने अपना ऑक्सीजन मास्क हटा दिया था और कोई पुड़ियां सूंघ रहे थे. पुड़िया से कपूर और दालचीनी की महक आ रही थी. ये पुड़िया उनके घर वालों ने टिफिन में रखकर उन्हें भेजी थी. हमारे हीरो (बुजुर्ग मरीज) अपना ऑक्सीजन मास्क बेड पर किनारे रखकर ये पुड़िया सूंघे पड़े थे, खांसे पड़े थे. प्रोन पोजीशन में लिटाकर और ऑक्सीजन सप्लाई बढ़ाकर 15 मिनट में उन्हें कुछ सामान्य किया गया. तब भी उनका लेवल 85-86 फीसदी था.
पिछले एक घंटे में काफी नुकसान हो चुका था और इसकी ज़िम्मेदार थी वो जड़ी-बूटी वाली पुड़िया. कृपया ऐसी चीजों को मरीजों से दूर रखें. ये ऑक्सीजन का कोई विकल्प नहीं हैं. मूर्ख मत बनिए.
ये ट्वीट डॉ. देवाशीष पालकर ने किए हैं. ट्विटर बायो के मुताबिक, वे MBBS डॉक्टर हैं.
क्या है मामला?
डॉ. देवाशीष ने ट्वीट में आगे एक लिंक शेयर किया है. ये लिंक ThePsychiaTRYST नाम के ब्लॉग का है, जो देवाशीष का ही है. इसमें उन्होंने लिखा है –
ये वॉट्सऐप यूनिवर्सिटी से आई हुई बातें हैं कि कपूर, अजवाइन या दालचीनी से ऑक्सीजन लेवल ऊपर जाता है. काश ऐसा होता! फिर किसी के भी खून में ऑक्सीजन की कमी नहीं होती. लेकिन ऐसा है नहीं. जब आपके शरीर में ऑक्सीजन कम होती है तो आपको ऑक्सीजन चाहिए होती है. न कि इस तरह के नुस्खे.”
ट्वीट पढ़कर हम समझ सकते हैं कि जिन घरेलू नुस्खों को हम ‘रामबाण’ मानकर डॉक्टरी सलाह भुला देते हैं, वो मेडिकली साबित हो चुके उपचार का विकल्प कतई नहीं हो सकते. हां, कुछ घरेलू उपचार होते हैं, जो डॉक्टरी सलाह और दवा के साथ रिकवरी को तेज करने का काम कर सकते हैं. लेकिन उनकी जगह नहीं ले सकते. नाजुक समय है. डॉक्टरी सलाह पर ही अमल करें. नीम-हकीम न बनें.