Hastinapur 2022 : हस्तिनापुर से समाजवादी पार्टी से योगेश वर्मा को टिकट मिला। अभी तक जिस पार्टी ने जीती सीट उसी की सरकार बनी
सपा ने हस्तिनापुर सीट से योगेश वर्मा को प्रत्याशी घोषित किया है। कई दिनों से चल रही खींचतान के बाद रविवार को उनके नाम पर अंतिम मुहर लगी और उन्हें चुनाव सिंबल दे दिया गया। योगेश वर्मा को टिकट दिलवाने में मुख्य किरदार निभाने वाले अखिलेश के भरोसेमंद सिपाई अतुल प्रधान का हाथ माना जा रहा है.
2007 में जीते थे चुनाव
दौराला के धनजू गांव निवासी योगेश वर्मा बसपा के टिकट पर 2002 में यहीं से चुनाव लड़े थे 2007 में बसपा ने फिर उसी सीट से उतारा और चुनाव जीत गए। 2012 में वह हस्तिनापुर से ही पीस पार्टी के टिकट पर चुनाव लड़े लेकिन पराजय मिली हालांकि, दूसरे स्थान पर रहने के कारण राजनीतिक गलियारे में चर्चा रही। 2017 में बसपा में शामिल हुए और फिर वहीं से चुनाव लड़े। इस बार भी जीत नहीं सके। टिकट के लिए योगेश वर्मा का मुख्य मुकाबला सपा के ही प्रभुदयाल बाल्मीकि से था। प्रभुदयाल भी सपा के पुराने सिपाही हैं। हस्तिनापुर की आरक्षित सीट से ही दो बार के विधायक हैं और एक बार तो मंत्री भी रह चुके हैं।
योगेश व उनकी पत्नी का राजनीतिक इतिहास
योगेश वर्मा की पत्नी सुनीता वर्मा वर्ष 2000 में जिला पंचायत सदस्य बनीं। दौराला के धनजू गांव निवासी योगेश की अनुसूचित जाति में अच्छी पकड़ के चलते बसपा ने 2002 में हस्तिनापुर विधानसभा सीट से उन्हें टिकट दिया। हालांकि चुनाव हार गए। 2007 में बसपा ने फिर उसी सीट से उतारा और चुनाव जीत गए। 2010 में उनके भाई ब्लाक प्रमुख बने।
इस सीट पर सामजवादी पार्टी दो बार परचम लहरा चुकी है। पांडवों की राजधानी रही हस्तिनापुर के साथ यह किवंदती जुड़ी हुई है कि इस सीट से जिस पार्टी का विधायक चुना जाता है, प्रदेश में सरकार उसी पार्टी की बनती है। इस बात को राजनैतिक दिग्गज भी मानते हैं और यही वजह है कि सभी राजनीतिक दलों ने अपना पूरा ध्यान इसी सीट पर लगा रखा है। सोच-समझकर यहां से प्रत्याशी उतारे जा रहे हैं।
विधानसभा क्षेत्र में तीन ब्लॉक
हस्तिनापुर विधानसभा क्षेत्र में तीन ब्लॉक मवाना, हस्तिनापुर और किला परीक्षितगढ़ हैं। इनके अलावा मवाना नगर पालिका, हस्तिनापुर, किला परीक्षतगढ़ व बहसूमा तीन नगर पंचायतें हैं।
2017 में हस्तिनापुर से भाजपा विधायक दिनेश खटीक थे।