क्या अनुप्रिया पटेल पिछड़े वर्ग को लामबंद करने में कामयाब हो रही है ?
अभी तक उत्तरप्रदेश में सर्वमान्य पिछडो की पार्टी के रूप समाजवादी पार्टी को गिना जाता रहा है, पर बीजेपी की मोदी लहर में गैर यादव का झुकाओ बीजेपी की तरफ हो गया था। लगातार सत्ता में पिछडो की हिस्सेदारी को लेकर सवाल पिछड़े बर्ग के समाजिक कार्यकर्त्ता उठाते आये है.उनकी ये कोशिश शायद पिछडो को अलग नेतृत्व खोजने को मजबूर कर रहीं है.
इसी लिए गैर यादव जातियां (OBC Caste) का झुकाव अपना दल की तरफ हो रहा है. उसका कारण बसपा भी लगतार पिछड़े वर्ग के नेताओ की उपेच्छा करती रही है इसमें खासतौर पर 2012 के बाद पिछड़ी जाति के बड़े नेताओं ने या तो बीएसपी से खुद ही किनारा कर लिया या फिर पार्टी ने उन्हें बाहर का रास्ता दिखा दिया। जैसे बाबू सिंह कुशवाहा, स्वामी प्रसाद मौर्या लालजी वर्मा और रामअचल राजभर बाहर, जैसे नेता जो पिछड़ी जाति से ताल्लुक रखते थे बसपा का साथ छोड़ा या पार्टी द्वारा निष्कासित कर दिए गए, इससे पिछडो का भरोसा बसपा से कम होता गया।
अब बची कांग्रेस पार्टी, अभी हाल में किसान और मजदुर के हक़ लड़ाई लड़ने वाले पिछड़े बर्ग से आने वाले नेता तरुण पटेल को कांग्रेस किसान मोर्चा (President) पद से हटा दिया गया. तरुण पटेल किसान और पिछड़े बर्ग युवाओ में काफी लोकप्रिय चेहरा है। राजनैतिक जानकारों का यहां तक कहना तरुण ने 2011 में हुई जाति जनगणना के आंकड़े उजागर न करने को लेकर अपनी ही पार्टी (कॉंग्रेस ) से सवाल कर दिया था, इसी लिए पद से हटा दिए गए।
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आज इन सभी पार्टी से असंतुष्ट लोगो का नजारा लखनऊ की सड़को पर अनुप्रिया पटेल की भीड़ को देख लगाया जा सकता था आज अनुप्रिया मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल में राज्य मंत्री बनने के बाद लखनऊ आयी थी श्रीमती पटेल मंगलवार को लखनऊ आगमन पर चौधरी चरण सिंह एयरपोर्ट से सीधे जीपीओ स्थित सरदार पटेल पार्क पहुंचीं और लौह पुरुष सरदार बल्लभभाई पटेल जी, राष्ट्रपिता महात्मा गांधी जी और संविधान निर्माता बाबा साहब डॉ.भीम राव आंबेडकर जी की प्रतिमा पर पुष्पांजलि अर्पित कीं। तत्पश्चात श्रीमती पटेल ने सिकंदरबाग चौराहा स्थित 1857 की क्रांति की वीरांगना ऊदा देवी पासी जी की प्रतिमा पर पुष्पांजलि अर्पित कर उन्हें नमन किया।
पहले स्वागत में मौजूद राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग महासंघ ने केंद्रीय मंत्री श्रीमती अनुप्रिया पटेल भव्य स्वागत किया। इसके बाद श्रीमती पटेल कैसरबाग स्थित गांधी भवन पहुंची, जहां पर राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग महासंघ ने उन्हें चांदी का मुकुट पहनाकर स्वागत किया। अभिनंदन समारोह के दौरान श्रीमती अनुप्रिया पटेल ने महासंघ के पदाधिकारियों को संबोधित करते हुए कहा कि यश:कायी डॉ.सोनेलाल पटेल जी ने जिस उद्देश्य को लेकर अपना दल की स्थापना की थी। उनकी बेटी के तौर पर मैं अंतिम सांस तक सामाजिक न्याय की आवाज को बुलंद करती रहूंगी। श्रीमती पटेल ने कहा कि वह सड़क से लेकर संसद तक पिछड़ों, दलित, आदिवासी भाइयों की आवाज को निरंतर उठा रही हैं और आगे भी इसी मजबूती से उठाती रहूंगी।
श्रीमती अनुप्रिया पटेल ने कहा कि अपना दल एस के निरंतर आवाज उठाने का ही प्रतिफल है आज राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग को संवैधानिक दर्जा मिल चुका है। सैनिक स्कूलों एवं नवोदय स्कूलों में प्रवेश के लिए ओबीसी के मेधावी बच्चों को 27 प्रतिशत आरक्षण का सपना साकार हो चुका है। मेडिकल एंट्रेंस नीट में ओबीसी आरक्षण में ऑल इंडिया कोटा लागू हो चुका है। केंद्रीय विश्वविद्यालयों में 13 सूत्री रोस्टर प्रणाली के खिलाफ मैंने अपनी पार्टी अपना दल एस की तरफ से मैंने संसद में आवाज उठायी, जिसकी वजह से केंद्र सरकार को पुन: 200 सूत्री रोस्टर प्रणाली को लागू करना पड़ा।
श्रीमती पटेल ने महासंघ के पदाधिकारियों से वायदा किया कि पिछड़ों, दलितों, आदिवासी भाइयों की आवाज को निरंतर उठाती रहूंगी। उन्होंने यह भी कहा कि सामाजिक न्याय के किसी भी मुद्दे पर महासंघ के पदाधिकारी कभी भी उनसे मुलाकात कर सकते हैं और अपनी बात रख सकते हैं।
श्रीमती पटेल ने कहा कि जातीय जनगणना आज देश की मांग है। अपना दल की तरफ से मैं पिछले 7 सालों से संसद में निरंतर आवाज उठा रही हूं। जातीय जनगणना पूरा होने से समाज के गरीब, दलित व अन्य पिछड़ी जातियों की वास्तविक संख्या की जानकारी मिलेगी, जिससे समाज के अंतिम पंक्ति पर खड़े इन दबे-कुचले गरीब भाइयों के विकास के लिए योजनाओं का खाका तैयार किया जाएगा।
श्रीमती पटेल ने कहा कि अल्पसंख्यक मंत्रालय की तर्ज पर ओबीसी मंत्रालय के गठन की मैं लगातार मांग कर रही हूं और मुझे आशा है कि पिछड़ों का यह सपना भी हमारे यशस्वी प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी के नेतृत्व में ही साकार होगा।
मंच से श्रीमती अनुप्रिया पटेल ने पिछड़ा समाज से आह्वान किया कि 2022 में सत्ता की कुंजी पिछड़ों के पास ही होनी चाहिए। बदलते दौर के साथ अब हमारे पिछड़ा वर्ग के होनहार बच्चों का कट ऑफ भी सामान्य से ज्यादा आ रहा है, जो कि एक चिंता का विषय है। पिछड़ा समाज अपने अधिकारों को लेकर सजग रहे और निरंतर आवाज उठाता रहे। हक मांगने से नहीं मिलता है, बल्कि उसके लिए लंबा संघर्ष करना पड़ता है। हमें भी संघर्ष करना है।
Lucknow Airport Authority नहीं उतरने दिया प्लेन
सूत्रों के अनुसार अनुप्रिया जिस प्लेन में सवार थी उस प्लेन को Lucknow Airport Authority ने मौसम ख़राब होने की बात बोल कर वापिस दिल्ली भेज दिया। इसी बीच एयर पोर्ट पर हज़ारों संख्या में मौजूद उनके समर्थको हंगामाऔर नारे बाजी शुरू कर दी, समर्थको के दवाब में Lucknow Airport Authority को परमिशन देनी पड़ी. लखनऊ के राजनैतिक मौसम बैज्ञानिकों का या तक कहना है की सड़को पर स्वागत की उमड़ती भीड़ को देख कर सरकार के दवाब में ऐसा किया गया. क्युकी पिछड़े की ये लामबंदी देख कर मौजूदा उत्तरप्रदेश की सरकार को डर है की पिछड़ी जातियों (गैर यादव ) से उसकी पकड़ कमजोर हो रही हैं.