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उत्तरप्रदेश : किसान कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष तरुण पटेल को पद से हटाया गया

उत्तर प्रदेश में किसानो के मुद्दों को लेकर लगातार चर्चा में रहने वाले तरुण पटेल (Tarun Patel )को कांग्रेस ने पद से हटा दिया है उनकी जगह नए अध्यक्ष जगदीश सिंह बनाये गए है

congress official Twitter

गाँव डॉट कॉम की इस बारे में विस्तृत चर्चा कांग्रेस से आने वाले एक पदाधिकारी से हुई। तो उन्होंने नाम न छापने की शर्त पर बातचीत में बताया की कांग्रेस की सवर्ण लॉबी को ये मंजूर नहीं की उत्तरप्रदेश में किसान और पिछड़े बर्ग का कोई नेता उत्तरप्रदेश में मजबूत हो. उन्होंने बताया की कांग्रेस की सवर्ण लॉबी तरुण पटेल (Tarun Patel)के 26 दिन के अनशन की किसानों के बीच लोकप्रियता को देख दबाब में थी| इसीलिए प्रियंका गाँधी के निकट सहयोगी ने ये कार्रवाई को अंजाम दिलवाया है|

और पार्टी के ही दो सूत्रों के हवाले ये भी पता लगा है कि तरुण पटेल जमीनी स्तर के कांग्रेसियों ओबीसी वर्ग,और नौजवानों में खासा लोकप्रिय है पिछले 15 सालों से लगातार कांग्रेस की राजनीति में सक्रिय हैं प्रियंका गांधी की नई नवेली चाटुकारों की टीम उनकी साफ़गोई और स्पष्टवादी व्यवहार से डरी रहती है।
प्रियंका गांधी के 16 17 अट्ठारह जुलाई के दौरे पर तरुण पटेल ने बहुत बेबाकी से साफ-साफ उत्तर प्रदेश में कांग्रेस की जमीनी हकीकत को सामने रखा जिससे चाटूकारों की फौज उनके खिलाफ लामबंद हो गई और उन्हें इस पद से हटवाया।

इसी बीच कुछ दिन पहले तरुण पटेल ने facebook live आकर जाति आधारित जनगणना को अपना समर्थन प्रकट भी किया था. साथ में 2011 में जातिगत जनगणना में जो आंकड़े लिए गए थे उनको उजागर न करने पर कांग्रेस को भी दोषी माना था।

#जातिवार_जनगणना_हक_है_हमारा… Facebook Official Page Tarun Patel

तरुण पटेल को पद से हटाए जाने की वजए से किसान और पिछडो में कांग्रेस को लेकर असंतोष फ़ैल गया है लोग कांग्रेस को लेकर तमाम तरह की बाते कर रहे है। पिछड़े बर्ग तमाम बुढ़िजीवी का मानना है की कांग्रेस और बीजेपी एक सिक्के के दो पहलू है. लेकिन कांग्रेश उससे ज्यादा शातिर है। कांग्रेश घड़ियाली आंसू दिखाकर किसानों के साथ खड़े होने का नाटक कर रही है। वही अवध की सर जमी पर किसान कांग्रेस के किसान नेता तरुण पटेल को बाहर का रास्ता दिखा दिया गया है। इससे पता चलता है कि किसानों की कांग्रेस पार्टी के अंदर कितनी चलती है। कांग्रेस पार्टी के आका कभी भी नहीं चाहती कि किसान का बेटा आगे बढ़े । वह जब यह जान जाते हैं कि कोई किसान उनके आगे नतमस्तक नहीं होता है तो वह वही हाल करते हैं जैसा उन्होंने चौधरी चरण सिंह का किया था । चौधरी चरण सिंह ने भी रोते-रोते कांग्रेस पार्टी छोड़ी थी।
दूसरी तरफ भारतीय जनता पार्टी किसानों की रोजी रोटी छीनने पर तुली हुई है इन दोनों पार्टियों में कोई अंतर नहीं है । लिहाजा किसानों को अब समझ जाना चाहिए कि उनका हितैषी अब कौन है? आगे आने वाले समय में चुनाव है शांति से काम ले और इन दोनों दोनों किसान विरोधी पार्टियों को दरकिनार करते हुए अपनी आवाज को बुलंद करें।

अगर देखा जाए तो कांग्रेस इस प्रकार किसान जातियों को किनारे कर के २०२२ की सत्ता हासिल नहीं कर सकती है। पिछड़े बर्ग में यादव को छोड़कर बाकी पिछड़ी किसान जातियाँ बीजेपी से अलग अपना बिकल्प तलाश कर रही है पर कांग्रेस का पिछड़े और किसान जातियों के खिलाफ ये रवैया रहा तो कॉग्रेस के उत्तरपरेश 2022 का चुनाव बहुत मुश्किलों भरा होने वाला है

Source
Congress Internal Team

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